जी-20 के मसौदे पर विरोध की वजह नहीं, सभी देशों की सहमति

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जी-20 के मसौदे में ग्लोबल वार्मिग समेत अन्य मुद्दों को लेकर सभी सदस्यों देशों ने अपनी सहमति जताई है। इस मामले में चीन और रूस के विरोध को लेकर कोई ठोस वजह नजर नहीं आ रही है। इन देशों को आक्षेप होने पर मसौदे पर हस्ताक्षर को लेकर इनकार कर सकते थे, लेकिन इस तरह की कोई भी स्थिति नहीं है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने अनौपचारिक चर्चा में बताया कि भारत में जी-20 के आयोजन में सभी देशों के बीच आपसी सहमति और आर्थिक समन्वय पर चर्चा की जा रही है। जी-20 देशों के दो समूह में आस्ट्रेलिया, कोरिया समेत यूरोपियन यूनियन और दूसरे समूह में अन्य देशों में भी सौहार्द्रपूर्ण रूप से आपसी सहयोग पर जोर दिया जा रहा है।
बेहतर समन्वय का प्रयास
जापानी प्रधानमंत्री की ओर से भारत दौरे में जी-20 और जी-7 देशों को एक दूसरे से जोड़ने की मांग पर इस अधिकारी ने कहा कि विश्व भर में अलग-अलग संगठनों के माध्यम से सभी देश आपसी सहयोग और आर्थिक साझेदारी को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में जी-20 और जी-7 संगठन भी अलग-अलग रूप में एकजुटता के साथ सहयोगात्मक रूप से काम कर रहे हैं। तकनीकी सहयोग, संसाधनों की साझेदारी समेत अन्य पहलुओं पर दोनों संगठनों ने अपने अस्तित्व को सार्थक किया है। ऐसे में अलग-अलग रूप में भी दोनों संगठन बेहतर रूप में समन्वय कर सकते हैं।
भारत की मजबूत दावेदारी
संयुक्त राष्ट्र में सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की दावेदारी पर बोलते हुए आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ की संरचना में बदलाव की आवश्यकता महसूस की जा रही है। दुनिया में जनसंख्या और पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की मजबूत दावेदारी हो रही है, लेकिन आमसभा में 2 तिहाई बहुमत से प्रस्ताव को मंजूरी के लिए अब भी आपसी सहमति बेहद दूर है। इस प्रक्रिया में टेक्स्ट बेस्ड निगोशिएशेन पूरी करना होगा। ड्राफ्ट को यूनो की आमसभा में रखना है। इस एजेंडे को चर्चा के बाद मतदान तक पहुंचाना बेहद मुश्किल बना हुआ है। आमसभा में 2 तिहाई बहुमत से प्रस्ताव को मंजूरी दिलाने के लिए हरसंभव सहमति बनाने का प्रयास अब भी जारी है।
सी-20 सार्थक पहल के रूप में चिन्हित
सी-20 की उपराजधानी में प्रारंभिक बैठक को बेहद सफल बताते हुए आयोजकों समाधान जताया है। सूत्रों के मुताबिक रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी, विवेकानंद केन्द्र, सत्संग फाउंडेशन समेत कई आध्यात्मिक और जमीनी संगठनों से जुड़कर चर्चा की गई। विकासशील देशों की स्वयंसेवी संस्थाओं और मुद्दों पर चर्चा बेहद सार्थक रूप में संभव होगी। पर्यावरण में बदलाव, शाश्वत विकास, स्वास्थ्य समेत समाज निर्माण के मुद्दो पर चर्चा की गई है। इन मुद्दों को जुलाई माह में जी-20 को औपचाीरिक रूप में सौंपा जाएंगा, ताकि भविष्य की वैश्विक नीति निर्धारण में शामिल किया जा सके।
Created On :   22 March 2023 11:43 AM IST












