पेंच में बाघ बढ़े, लेकिन पर्यटकों को दिख नहीं रहे
डिजिटल डेस्क, नागपुर। इन दिनों पेंच के जंगलों में एकाकी टूरिजम कम हो गया है। एनटीसीएन ने राज्य में पेंच व्याघ्र प्रकल्प को बाघों की घनत्व में सबसे आगे रखा है। लेकिन इन दिनों यहां आने वाले पर्यटकों को बाघों के दर्शन हीं नहीं हो रहे हैं। जिसके कारण धीरे-धीरे यहां पर्यटकों की संख्या कम होते जा रही है।
नागपुर का पेंच 742 वर्ग किमी दायरे में फैला जंगल है। यहां 6 गेट हैं, जिसमें खुर्सापार, खुबाड़ा, सुरेवानी, सिल्लारी आदि गेट हैं। यहां बाघों की संख्या की बात करें तो पिछली गणना तक यहां 53 बाघों की उपस्थिति देखी गई है। ऐसे में यहां आने वालों को बाघों के दर्शन आसानी से हो जाते हैं। वर्तमान स्थिति में यहां नई गणना के अनुसार बाघों की संख्या तो बढ़ी है, साथ ही इसे बाघों की उपस्थिति में महाराष्ट्र में नंबर वन पर रखा गया है। बावजूद इसके यहां इन दिनों बाघों के दर्शन नहीं हो रहे हैं। जिसके कारण तेजी से पर्यटकों की संख्या कम होते जा रही है। दिनभर में एक या दो जिप्सी ही सफारी के लिए निकल रही है। इन्हें भी बाघ नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में यहां के गाइड व जिप्सी चालकों के रोजगार पर भी फर्क पड़ने लगा है।
गर्मी के कारण नहीं दिख रहे : वर्तमान स्थिति में गर्मी शुरू हो गई है। शरीर को झुलसा देने वाली धूप पड़ना शुरू हो गई है। ऐसे में जानकारों की मानें तो वन्यजीव खासकर बाघ आदि तड़के व रात को ही बाहर निकल रहे हैं। जिससे पर्यटकों को सफारी के समय यह नहीं दिख पा रहे हैं।
नहीं मिल रहा रोजगार : पेंच में 100 के करीब गाइड व जिप्सी चालक हैं। जो प्रतिदिन यहां घूमने आने वालों के भरोसे ही रोजगार कमाते हैं। लेकिन इन दिनों इन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है। नाममात्र पर्यटक रहने से एक गाइड व जिप्सी चालक को 4 से 5 दिन तक रोजगार नहीं मिल रहा है, जिससे वह परेशान हो रहे हैं।
Created On :   12 April 2023 12:59 PM IST