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जलज कुमार अनुपम: लिफ्ट से संबंधित सुरक्षा के उपाय और उसके मानक को समझना बहुत जरुरी है
आज भारत डिजिटल क्षेत्र के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर में भी काफी आगे बढ़ रहा है, एडवांस टेक्नोलॉजी को आज भारतवर्ष में अपने लेवल पर लोग अपना रहे हैं, इसमें कई एंटरप्रेन्योर्स जो कि स्टार्टअप के माध्यम से नई-नई टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दे रहे हैं साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं, इन्हीं में से एक कंसेंट एलिवेटर्स के संस्थापक "जलज कुमार अनुपम" (Jalaj Kumar Anupam) जिन्होंने एलिवेटर्स यानी लिफ्ट की इंडस्ट्री में अपना खुद का अलग वर्चस्व स्थापित किया और इन्हे स्टार्टअप ऑफ द ईयर से भी नवाजा गया, जलज बताते हैं की, आधुनिक टेक्नोलॉजी तो हमारे जीवन को काफी ज्यादा आसान तो बनाते हैं लेकिन हमें इससे सावधानी भी बरतनी चाहिएl
जलज कुमार अनुपम (Jalaj Kumar Anupam) कहते हैं कि हमारा लक्ष्य मध्यमवर्गीय लोगों को कम कीमत में गुणवत्ता पुर्ण लिफ्ट को उपलब्ध कराना है। यह खुशी कि बात है कि देश में स्टार्टअप को पसन्द किया जा रहा है। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी के स्टार्टअप के लिए किया गया आवाहन अनेक अर्थों में सफल होते दिख रहा है। स्थानीय कम्पनी के प्रति लोगों का जो स्नेह और समर्थन मिल रहा है उसके लिए मंि कंसेंट एलिवेटर्स परिवार की तरफ से धन्यवाद कहना चाहता हूँ।
आज जलज कुमार अनुपम से हम लिफ्ट की सुरक्षा और गुणवत्ता संबंधित बातों को समझने का प्रयास करेंगे।
आपकी दृष्टि में लिफ्ट लगवाने से पहले और उसके बाद ध्यान देने योग्य बातें क्या क्या हो सकती है ?
देखा जाये तो महानगरीय जीवन के प्रति रुझान कहें या रोजी रोजगार के नाम पर शहरों के लिए होने वाले भारी पलायन ने शहरों में अब मल्टीस्टोरेज भवनों की संख्या में भारी बढ़ोतरी किया है। विद्यालय, अस्पताल, होटल, रेस्ट्रोरेंट हो चाहे बिल्डर फ्लोर और कोपरेटिव सोसाइटी सब जगहों पर लिफ्ट अब आम आदमी की जरुरत है। देखा जाये तो स्वतंत्रता से पहले 1939 में भारत का पहला बॉम्बे लिफ्ट अधिनियम आया था जिसमें लिफ्ट के सुरक्षा से संबंधित कुछ मानक तय किये गये थे। स्वतंत्रता के बाद 1958 में इसका एक संशोधित प्रारुप आया जिसको आगे चलकर अन्य राज्यों ने जस का तस या थोड़े हेर फेर के साथ उनको अंगीकार कर लिया। राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए दिल्ली लिफ्ट नियम, 1942 में आया इसके तहत लिफ्टों के संचालन के लिए लाइसेंस जरुरी किया गया। ये नियम मूल रूप से सुरक्षा नियम हैं जिन्हें उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके सुचारू संचालन के लिए लिफ्टों के सुरक्षित और उचित निर्माण, संचालन, रखरखाव और निरीक्षण के लिए लागू किया है। इन नियमों के प्रावधानों के अनुसार जो कोई भी आदमी अगर लिफ्ट लगवाना चाहता है तो उसे लिफ्ट इंस्टाॅलेशन के लिए अनुमति लेना जरुरी होता है।
संबंधित विभाग एक लिफ्ट निरीक्षक को एक निर्धारित करता है जोब साइट का दौरा करता है, उसका निरीक्षण करता है कि लिफ्ट का लेआउट सही है कि नही! लिफ्ट बिना दरवाजों के बन्द हुये नही चलनी चाहिए। लिफ्ट जिस फ्लोर पर हो सिर्फ उसी फ्लोर का दरवाजा खुलना चाहिए। इसके साथ साथ स्पीड गर्वनर सुरक्षा तंत्र और सुरक्षा गियर (सेफ्टी क्लच), आदि का निरीक्षण करता है और यह सुनिश्चित करता है लिफ्ट को लगाने में अधिनियम के नियमों के तहत दिये गये प्रावधानों और संबंधित भारतीय मानक ब्यूरो में निर्धारित दिशानिर्देशों का अनुपालन किया गया है या नहीं। यदि निरीक्षण करने पर यह लिफ्ट अधिनियम और नियमों के तहत प्रासंगिक प्रावधानों के अनुरूप पाया जाता है, तो लिफ्ट के संचालन के लिए लाइसेंस जारी किया जाता है। यह लाइसेंस दिल्ली में हर साल रिन्यू कराना होता है! उतर प्रदेश में इसको तीन साल में रिन्यू कराने का प्रवधान है।
इधर कुछ दिनों में लिफ्ट संबंधित अनेकों दुर्घटना सुनने को मिली है ! इससे कैसे बचा जा सकता है ?
हाँ यह बात सही है कि पिछले कुछ दिनों में लिफ्ट संबंधित कुछ हादसे सुनने और देखने को मिले है। लिफ्ट लगाने के बाद भी यह सुनिश्वित करना जरुरी होता है कि सुरक्षा प्रावधानों का पालन किया जा रहा है या नहीं। लिफ्ट को उपयोग करने के लिए कुछ आवश्यक सावधानियों की तरफ मैं ध्यान दिलाना चाहूँगा जिनको अवश्य बरतनी चाहिए ! एक यह भी सही बात है कि हमारे देश में लिफ्ट के सुरक्षा से संबंधित बातें कम होती है लेकिन यह आज की जरुरत है।
* जब लिफ्ट इंजिनियर आपके यहाँ सर्विस करने के लिए आये तब आपके यहाँ जो भी लिफ्ट को देखता हो उसे उसके सर्विस करने के पश्चात यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपातकालीन ( इमर्जेन्सि) आलार्म ठीक तरीके से काम कर रहा है या नही!
*लिफ्ट के अंदर दिया गया आपातकालीन नम्बर काम कर रहा है कि नही!
* लिफ्ट में प्रयोग किया जाने वाला पावर बैकअप काम रहा है या नही! यहाँ यह भी याद रखने लायक बात है कि लिफ्ट की रेगुलर सर्विसिंग उसकी गुणवत्ता को बढ़ाता है और इससे लिफ्ट खराब होने की संभावना कम होती है!
* अगर लिफ्ट में ओवरलोड डिवाइस नही लगा है फिर जल्दिबाजी के चक्कर में कभी भी लिफ्ट को ओवरलोड से करने से बचना चाहिए। रेटेड क्षमता के हिसाब से ही उसका इस्तेमाल करें।
*लिफ्ट में चढ़ते समय यह ध्यान अवश्य देना चाहिए कि आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए लिफ्ट में इंटरकाॅम फोन या अलार्म है कि नहीं। न होने की स्थिति में लिफ्ट प्रोवाइडर कम्पनी को इसे तुरंत लगवाने को कहें।
*बच्चों को कभी भी अकेले लिफ्ट का प्रयोग नही करने देना चाहिए।
*घर के सारे सदस्यों को लिफ्ट से आपातकाल में कैसे निपटे इसका ट्रेंनिग अवश्य देना चाहिए।
Created On :   7 Dec 2023 1:11 PM IST