- लॉकडाउन से अनलॉक तक, लोगों के जीवन स्तर में आई गिरावट: सर्वे
- दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए देशभर में कोविड-19 वैक्सीनेशन अभियान का शुभारंभ किया।
- मैं TMC के साथ हूं। यही समय है, जिनको TMC से प्यार है, वो TMC के साथ रहेंगे: TMC नेता शताब्दी रॉय
- भारत में पिछले 24 घंटे में #COVID19 के 15,158 नए मामले सामने आए। 175 नई मौतों के बाद कुल मौतों की संख्या 1,52,093 हो गई है।
- इंडोनेशिया में कम से कम 42 लोगों की मौत, भूकंप ने घरों और इमारतों को किया क्षतिग्रस्त
वॉट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी का असर : एलन मस्क के बाद अब पेटीएम सीईओ ने की सिग्नल ऐप की वकालत, धड़ाधड़ हो रहा डाउनलोड

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वॉट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी प्रतिद्वंदी ऐप्स के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। वॉट्सएप की इस मनमानी के चलते टेस्ला इंक के सीईओ एलन मस्क ने सिग्नल ऐप को अपनाने की वकालत की थी। अब पेटीएम के फाउंडर व सीईओ विजय शेखर शर्मा ने भी सिग्नल ऐप की वकालत की है। शर्मा ने ट्वीट कर कहा कि भारत में वॉट्सऐप/फेसबुक उनके एकाधिकार का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं और लाखों यूजर्स की प्राइवेसी को हल्के में ले रहे हैं। हमें अब सिग्नल ऐप पर शिफ्ट हो जाना चाहिए।
एलन मस्क की सिग्नल ऐप को अपनाने की वकालत करने के बाद इसे काफी बड़ी संख्या में लोगों ने डाउनलोड किया है। सिग्नल ने भारत सहित दुनिया के कई देशों में ऐप स्टोर के फ्री ऐप्स कैटेगरी में पहला स्थान हासिल कर लिया है। शनिवार को सिग्नल के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर एक स्क्रीनशॉट शेयर किया गया, जिसमें भारत में इसे वॉट्सएप से ऊपर पहले स्थान पर दिखाया गया है। जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रिया, फिनलैंड, हॉन्ग कॉन्ग और स्विट्जरलैंड में भी लोग इसे खूब डाउनलोड कर रहे हैं।
बता दें कि फेसबुक के स्वामित्व वाली वॉट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी 8 फरवरी से लागू हो रही है। नई पॉलिसी के तहत यूजर्स के डेटा को फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य साझेदार कंपनियों के साथ शेयर करने की बात कही जा रही है। जो यूजर्स इस प्राइवेसी पॉलिसी को स्वीकार नहीं करेंगे, उनका वॉट्सऐप अकाउंट अपने आप बंद हो जाएगा। हालांकि आलोचना के बाद कंपनी ने इस पर सफाई दी है और कहा है कि यह सिर्फ बिजनेस अकांउट्स पर लागू होगा और निजी चैट का इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
They say, market has power. We are the largest market.
— Vijay Shekhar Sharma (@vijayshekhar) January 11, 2021
Here in India WhatsApp / Facebook are abusing their monopoly & taking away millions of users' privacy for granted.
We should move on to @signalapp NOW.
It is upto us to become victim or reject such moves. https://t.co/iCmKoyLc5x
कमेंट करें
ये भी पढ़े
Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
जानिए भास्कर प्रॉपर्टी के बारे में:
भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।