समय पर नहीं कराते हैं गाड़ी का इंश्योरेंस, तो हो जाएं सावधान

समय पर नहीं कराते हैं गाड़ी का इंश्योरेंस, तो हो जाएं सावधान

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-01 07:01 GMT
समय पर नहीं कराते हैं गाड़ी का इंश्योरेंस, तो हो जाएं सावधान

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में बिना इश्योरेंस के सड़कों पर दौड़ने वाली गाड़ियों पर लगाम लगाने के लिए सरकार नई योजना बना रही है। ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री ने इंश्योरेंस कंपनियों से कहा है कि वह उन गाड़ियों की डिटेल्स दें जिनका इंश्योरेंस है। यह बिना इंश्योरेंस के दौड़ने वाली गाड़ियों को पकड़वाने में मदद करेगा।

मिनिस्ट्री पूरे डेटा को एक ई-प्लेटफोर्म पर डालेगी। इस डेटा को राज्यों के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट और ट्रैफिक पुलिस एक्सेस कर पाएंगे। इससे उन व्हीकल्स की पहचान की जाएगी जो बिना इंश्योरेंस के रोड पर चल रहे हैं। अभी अगर किसी गाड़ी का इंश्योरेंस है या खत्म हो गया है, तो इसकी जांच के लिए गाड़ी रुकवाकर उसके इंश्योरेंस के पेपर देखने पड़ते हैं।

 

देश में सभी गाड़ियों का इंश्योरेंस होना जरूरी है। अगर गाड़ी का फुल इंश्योरेंस नहीं करा सकते हैं तो थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कराना जरूरी है। अगर कोई गाड़ी का इंश्योरेंस कराए बिना उसे चलाता है तो यह कानूनी अपराध है। 

 

इंश्योरेंस इंफोर्मेशन ब्यूरो (IIB) के मुताबिक, देश में करीब 21 करोड़ व्हीकल्स हैं। इनमें से केवल 6.5 करोड़ व्हीकल्स का ही इंश्योरेंस है। इंश्योरेंस नहीं होने वाले वाहनों में ज्यादातर वो हैं जो अब रोड पर नहीं आते। एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक अधिकारियों का अनुमान है कि रोड पर चलने वाले 50-55 फीसदी वाहनों के पास इंश्योरेंस है। वहीं लगभग सभी कॉमर्शियल वाहनों के पास इंश्योरेंस है और वह हर साल रिन्यूअल भी कराते हैं। 

 

वहीं पैसेंजर कार की बात करें तो करीब 70-80 फीसद कारों का इंश्योरेंस है। टू व्हीलर वाहनों का इंश्योरेंस सबसे कम है। देश में लगभग 40-50 फीसदी टू व्हीलर वाहनों के पास ही इंश्योरेंस है। देश में कुल वाहनों की संख्या में करीब 70 फीसदी हिस्सा टू व्हीलर का ही है।

आपको बता दें कि, बिना थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के गाड़ी चलाना अपराध है। इसके लिए 1,000 रुपए तक का जुर्माना लग सकता है। इसके अलावा जेल की सजा भी हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट के एक पैनल ने इंश्योरेंस रेग्युलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी (IRDA) से कहा कि, कार और टू व्हीलर के रजिस्ट्रेशन के समय ही 3 या 5 साल का इंश्योरेंस दे। इस पर IRDA ने कहा कि हर साल प्रीमियम को देखते हुए ऐसा कर पाना मुमकिन नहीं है।

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