Thappad Review: महिला के स्वाभिमान और अस्तित्व की कहानी है '​थप्पड़', जरुर देखें फिल्म

Thappad Review: महिला के स्वाभिमान और अस्तित्व की कहानी है '​थप्पड़', जरुर देखें फिल्म

Bhaskar Hindi
Update: 2020-02-28 03:39 GMT
Thappad Review: महिला के स्वाभिमान और अस्तित्व की कहानी है '​थप्पड़', जरुर देखें फिल्म

डिजिटल डेस्क, मुम्बई। अनुभव सिन्हा के निर्देशन में बनी ड्रामा फिल्म "थप्पड़" आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म में तापसी पन्नू, पवेल गुलाटी, दिया मिर्जा, कुमुद मिश्रा, राम कपूर, रत्ना पाठक शाह, तनवी आजमी जैसे कलाकार हैं। 2 घंटा 6​ मिनट की फिल्म का पूरा कान्सेप्ट थप्पड़ पर आधारित है। फिल्म में एक सामाजिक संदेश है, जो महिलाओं के हित में हैं और पुरुष प्रधान समाज पर करारा थप्पड़ है। यह कहानी एक महिला के स्वाभिमान और उसके अस्तित्व की है।​​ इस फिल्म को देखकर आप इससे जुड़ा हुआ महसूस करेंगे। भास्कर हिंदी द्वारा इ​स फिल्म को 3.5 स्टार दिए जाते हैं।

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कहानी
फिल्म की कहानी की बात की जाए तो अनुभव सिन्हा और मृणमयी लागू ने इसे बहुत ही खूबसूरती से लिखा है। अमृता (तापसी पन्नू), जो अपने परिवार के लिए पूरी तरह से स​मर्पित है। वह एक मां की तरह पूरे परिवार का ध्यान रखती है। इसके बावजूद उसके पति का ऑफिस का गुस्सा तापसी पर निकलता है और यही से शुरु होती है थप्पड़ की कहानी। पति द्वारा मारे गए ​​थप्पड़ से तापसी अंदर से टूट जाती है और ठोस कदम उठाने का सोचती है। इस वजह से उन्हें परिवार की बातों को सुनना पड़ता है। "बस एक थप्पड़ ही तो था। छोड़ दो ना?" इस तरह के डॉयलाग फिल्म की कहानी को और मजबूत बनाते हैं। वे अपने पति से तलाक लेना चाहती हैं, लेकिन परिवार के लोग मना करते है। समाज, परिवार और तापसी के अंदर चल रहे तूफान से लड़ते हुए वे क्या फैसला लेती हैं। इसके ​लिए आपको यह फिल्म देखनी होगी। 

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निर्देशन
पिछले दो सालों में अनुभव सिन्हा के अंदर का एक महान निर्देशक जागा है। आर्टिकल 15 और मुल्क के बाद थप्पड़ से उन्होंने अपने निर्देशन को साबित कर दिया है। थप्पड़ के जरिए अनुभव ने यह बता दिया कि वे एक बेहतरीन निर्देशक है। उन्होंने बहुत ही खूबसूरती से इस फिल्म को बनाया। एक अपर मीडिल क्लास लोगों की कहानी... थप्पड़! महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देगी। ​अनुभव ने फिल्म में थप्पड़ से जुड़े फैक्ट को भी बताया जैसे "अगर दुनिया में सिर्फ ​थप्पड़ की वजह से तलाक होते तो 50 प्रतिशत महिलाएं अपने मायके में होती।" अनुभव की यह फिल्म पुरुष प्रधान समाज पर एक करारा थप्पड़ है। 

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एक्टिंग
अनुभव ने एक्टर्स की एक्टिंग स्किल का बखूबी प्रयोग किया है। ​तापसी ने भी इस फिल्म में अपनी जान लगा दी। उन्होंने अपने हाव भाव से अपने किरदार को खूबसूरती से निभाया। थप्पड़ के बाद उनके एक्सप्रेशन हर महिला के जीवन की कहानी को बयां करते हैं। साथ ही सह कलाकारों की एक्टिंग भी दमदार है।

म्यूजिक
फिल्म का टाइटल सॉन्ग ​थप्पड़ तो आप पहले ही सुन चुके होंगे। फिल्म का म्यूजिक शानदार है, जिससे आप फिल्म से जुड़ा हुआ महसूस करेंगे। 

क्यों देखें फिल्म
एक अलग तरह की कहानी के लिए यह फिल्म जरुर देखें।

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