सेस के बाद फिर लगी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आग

सेस के बाद फिर लगी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आग

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-29 09:06 GMT
सेस के बाद फिर लगी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आग


डिजिटल डेस्क । देश में पट्रोल-डीजल के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। लगातार तेल की कीमते बढ़ कर आम आदमी की जेब पर बोझ डाल रही है और एक बार फिर जनता पर ये बोझ बढ़ गया है। दरअसल रविवार को आधी रात से पेट्रोल-डीजल पर सेस लागू होने से दिल्ली समेत देश भर में भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।

पेट्रोल और डीजल की महंगाई से आम आदमी परेशान हो गया है। सरकारी ऑयल कंपनियां अब हर दिन पेट्रोल डीजल की कीमतों की समीक्षा करती हैं। 29 जनवरी को एकबार फिर पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ा दिए गए हैं। दिल्ली में डीजल का भाव 63.91 रुपए प्रति लीटर है। मुंबई में डीजल और पेट्रोल सबसे महंगा है। वहां डीजल 68.06 रुपए प्रति लीटर और पेट्रोल 80.69 रुपए प्रति लीटर है। दिल्ली में पेट्रोल का भाव 72.82 रुपए प्रति लीटर है।

आपको बता दें अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी होने की वजह से आए दिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी होती रही है। दिल्ली में पेट्रोल 72.49 रुपए तो वहीं मुंबई में लगभग 80 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गया है। ऐसे में एक बार फिर आप पर सेस का भार बढ़ने वाला है।

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सरकार पर एक्साइज ड्यूटी घटाने का दबाव

जब अंतरराष्ट्रीय मार्केट में जब क्रूड का प्राइस कम था, तब भी डोमेस्टिक मार्केट में पेट्रोल-डीजल के भाव में कुछ खास कमी नहीं आई थी। दरअसल तब सरकार ने ऑयल कंपनियों का घाटा कम करने के लिए एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दिया था। अब जबकि क्रूड खुद महंगा हो चुका है, सरकार पर एक्साइज ड्यूटी घटाने का दबाव बढ़ रहा है। उम्मीद है कि सरकार बजट में इस पर कोई फैसला कर सकती है।1 जुलाई, 2017 के मुकाबले पेट्रोल के दाम अब तक तकरीबन 8 रुपए बढ़ चुके हैं, जबकि डीजल के मामले में यह बढ़त 9 रुपए प्रति लीटर से अधिक हो चुकी है।

कैसे तय होती है कीमत?

हर दिन सुबह 6 बजे पेट्रोल और डीजल की कीमतों की समीक्षा के बाद मूल्य निर्धारण किया जाता है। देश में 2014 से तेल कंपनियां ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों का निर्धारण करती हैं। भारत में प्रतिदिन 45 लाख बैरल यानी लगभग 72 करोड़ लीटर क्रूड ऑयल की खपत है। मांग की तुलना में देश में कच्चे तेल का उत्पादन काफी कम है। इससे हमें अपनी कुल खपत का 80 फस्सी कच्चा तेल विदेशों से आयात करना पड़ता है।
 

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