अगर फाइनल हो जाती ये डील तो बच सकती थी CCD फाउंडर की जान!

अगर फाइनल हो जाती ये डील तो बच सकती थी CCD फाउंडर की जान!

Bhaskar Hindi
Update: 2019-07-31 15:52 GMT
अगर फाइनल हो जाती ये डील तो बच सकती थी CCD फाउंडर की जान!
हाईलाइट
  • आखिर इतनी बड़ी कॉफी चेन के फाउंडर को ऐसा कदम क्यों उठाना पड़ा?
  • कैफे कॉफी डे के मालिक वीजी सिद्धार्थ की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई
  • प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि उन्होंने आत्महत्या की है

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। इंडिया के कॉफी किंग के नाम से मशहूर और कॉफी चेन कैफे कॉफी डे के मालिक वीजी सिद्धार्थ की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि उन्होंने आत्महत्या की है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इतनी बड़ी कॉफी चेन के फाउंडर को ऐसा कदम क्यों उठाना पड़ा? क्या उनपर कर्ज का बोझ इतना बढ़ गया था कि उन्होंने मौत को गले लगा लिया?

सिद्धार्थ के करीबी बताते हैं कि पिछले एक साल में व्यापार के विस्तार को जारी रखने के लिए उन्हें शॉर्ट टर्म लोन लेने पड़ रहे थे। वह नकदी संकट से जूझ रहे थे। इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए वह रियल एस्टेट प्रॉपर्टीज को भी बेचना चाहते थे। लेकिन वह ऐसा करने में सफल नहीं हो पाए। अगर वह इसमें सफल हो पाते तो शायद वित्तीय स्थिति में थोड़ा सुधार हो जाता। 29 जुलाई को लापता होने से एक दिन पहले तक, सिद्धार्थ संकट को टालने के लिए देश के एक शीर्ष ऋणदाता से लगभग 1,600 करोड़ रुपये का लोन लेने की कोशिश कर रहे थे।

सिद्धार्थ ने लिक्विडिटी संकट से बाहर निकलने के लिए मार्च में माइंडट्री में उनकी 20.32% हिस्सेदारी को लॉर्सन एंड टूब्रो को बेच दिया था। ये सौदा 980 रुपए प्रति शेयर पर हुआ था। इससे उन्हें 3,269 करोड़ रुपये मिले थे। इस रकम से उन्होंने अपने कुछ खर्च निपटाए थे और टैक्स अदायगी की थी, इसके बाद कर्ज कम करने के लिए उनके पास 2,100 करोड़ रुपये बचे थे। माइंडट्री सौदे के बाद, बेंगलुरु में 120 एकड़ में फैले 4 मिलियन वर्गफुट के ग्लोबल टेक विलेज की बिक्री का सौदा 2,800 करोड़ रुपये में होने वाला था। स्थानीय डेवलपर सलारपुरिया सत्व के साथ निजी इक्विटी प्रमुख ब्लैकस्टोन इसे हासिल करने की दौड़ में थे।

इसी समय उन्होंने, कैफे कॉफी डे के कारोबार में से हिस्सेदारी की बिक्री के लिए अमेरिका स्थित सॉफ्ट ड्रिंक्स कोका-कोला के साथ बातचीत शुरू की थी। सिद्धार्थ के करीबी एक इनवेस्टमेंट बैंकर ने कहा, "एक ही समय में इन दोनों डील्स पर काम करना उनके लिए सही साबित नहीं हुआ। अगर बिजनेस पार्क की डील में वो सफल हो जाते, तो इससे वित्तीय दबाव कम होता।"

कॉफी डे एंटरप्राइजेज के पिछले साल की तुलना में शॉर्ट टर्म डेब्ट करीब पांच गुना बढ़कर 3,890 करोड़ रुपये हो गए थे। इन ऋणों को अगले 12 महीनों के भीतर चुकाया जाना था। ऋणों को चुकाने के लिए सिद्धार्थ बिजनेस के कई एसेट्स को बेचने की कोशिश में जुटे थे। एक अन्य व्यक्ति ने कहा, "उनकी समस्या शॉर्ट टर्म रोलिंग डेब्ट रिपेमेंट थी।" सिद्धार्थ ने कॉफी प्लांटेशन को छोड़कर अपने सभी व्यवसायों जैसे रिटेल, फाइनेंशियल सर्विसेज, लॉजिस्टिक्स, रियल एस्टेट को कॉफी डे एंटरप्राइजेज में कॉन्सॉलिडेट कर दिया था। 2010 में निजी इक्विटी फंडिंग से 200 मिलियन डॉलर जुटाने के बाद उन्होंने ऐसा किया था। उस समय ये सबसे हाई-प्रोफाइल सौदों में से एक था।

सिद्धार्थ ने 2011 में 30 साल की लीज पर दक्षिण अमेरिका के अमेजन के जंगल में 1.85 मिलियन हेक्टेयर वन भूमि लेकर सिकल लॉजिस्टिक्स और फर्नीचर व्यवसाय में विस्तार किया था। 2011 में फोर्ब्स को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि "अगले सात वर्षों में, इनमें से कम से कम तीन या चार व्यवसाय $1 बिलियन का रेवेन्यू करेंगे"। हालांकि ऐसा नहीं हुआ।

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