कर्ज में डूबी एयर इंडिया के सरकार ने नहीं चुकाए 1146.68 करोड़ रुपए

कर्ज में डूबी एयर इंडिया के सरकार ने नहीं चुकाए 1146.68 करोड़ रुपए

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-30 16:06 GMT
हाईलाइट
  • इसमें कैबिनेट सचिवालय और प्रधानमंत्री कार्यालय पर सबसे ज्यादा 543.18 करोड़ रुपये हैं।
  • विदेश मंत्रालय पर 392.33 करोड़ रुपये और रक्षा मंत्रालय पर 211.17 करोड़ रुपये का बकाया है।
  • सरकार ने एयर इंडिया के किराये के 1146.68 करोड़ रुपये अब तक नहीं चुकाए।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। घाटे में चल रही एयर इंडिया एयरलाइंस पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। कर्ज चुकाने के लिए सरकार ने एयर इंडिया की हिस्सेदारी बेचने की भी कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इस बीच एक रिटायर्ड ऑफिसर की ओर से लगाई गई RTI में खुलासा हुआ है कि भारत सरकार ने विदेशी यात्राओं के लिए वीवीआईपी चार्टर्ड फ्लाइट्स का इस्तेमाल तो खूब किया, लेकिन किराये के 1146.68 करोड़ रुपये अब तक नहीं चुकाए।

रिटायर्ड ऑफिसर लोकेश बत्रा की आरटीआई का 26 सितंबर को जवाब देते हुए एयर इंडिया ने बताया, वीवीआईपी उड़ानों संबंधी उसका बकाया 1146.68 करोड़ रुपये है। इसमें कैबिनेट सचिवालय और प्रधानमंत्री कार्यालय पर सबसे ज्यादा 543.18 करोड़ रुपये, विदेश मंत्रालय पर 392.33 करोड़ रुपये और रक्षा मंत्रालय पर 211.17 करोड़ रुपये का बकाया है। एयर इंडिया ने बताया कि उसका सबसे पुराना बकाया बिल करीब 10 साल पुराना है। बता दें कि वीवीआईपी चार्टर्ड फ्लाइट्स का इस्तेमाल राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री अपनी विदेश दौरों के लिए करते हैं। एयर इंडिया को बीते वित्त वर्ष में 5,765.16 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।

इससे पहले जब मार्च में जानकारी मांगी गई थी तब सामने आया था कि 31 जनवरी 2018 तक वीवीआईपी चार्टर फ्लाइट्स का 325.81 करोड़ रुपये सरकार पर पेंडिंग है। इस राशि में 84.01 करोड़ पिछला और 241.80 करोड़ रुपए इस साल का बकाया था। एयर इंडिया की ओर से बताया गया था कि सबसे ज्यादा बकाया 178.55 करोड़ रुपये विदेश मंत्रालय पर है। इसके बाद कैबिनेट सचिवालय-पीएमओ पर 128.84 करोड़ और रक्षा मंत्रालय पर 18.42 करोड़ का बकाया है। एयर इंडिया ने यह भी बताया कि पिछले वित्त वर्ष से 451 करोड़ के बकाया बिल को आगे बढ़ाया गया, जबकि इस साल 553.01 करोड़ का बिल बना। कुल 1004.72 करोड़ में से सरकार ने इस साल 678.91 करोड़ रुपये चुकाए हैं।

Similar News