मोदी सरकार के नए कंपनी नियमों से परेशान 30 ऑडिटर्स ने भारतीय कंपनियां छोड़ीं

मोदी सरकार के नए कंपनी नियमों से परेशान 30 ऑडिटर्स ने भारतीय कंपनियां छोड़ीं

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-02 12:19 GMT
मोदी सरकार के नए कंपनी नियमों से परेशान 30 ऑडिटर्स ने भारतीय कंपनियां छोड़ीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की नीतियों के चलते कॉरपोरेट जगत में सनसनी मची हुई है। मोदी सरकार ने कॉरपोरेट गवर्नेंस के मानक इतने कड़े कर दिए हैं कि डर के कारण ऑडिटर्स भारतीय कंपनियों को छोड़ते जा रहे हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि सिर्फ साल 2017 में ही करीब 30 से अधिक फर्मों ने ऑडिटर के रूप में कंपनियों के असाइनमेंट छोड़ दिए। यह खुलासा प्राइम डाटाबेस की ओर से जुटाए गए आंकड़ों के द्वारा हुआ है।

कॉरपोरेट जगत के जानकारों की मानें तो ऑडिटर्स के काम छोड़ने की एक वजह रेग्युलेटर्स का डर या कंपनी के आंतरिक कारण हो सकते हैं। जांच के माहौल को देखते हुए, ऑडिट फर्म भी अपनी ओर से अतिरिक्त सावधानियां बरत रही हैं। मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए नए कंपनी नियमों के कारण इन दिनों कोई ऑडिट कंपनी जोखिम लेने को तैयार नहीं है।

इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि कई मामलों में जब लेखा परीक्षकों ने कम्पनी छोड़ी , उसी के आसपास इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स और कंपनी सचिवों ने भी इस्तीफा दे दिया। जानकारों के अनुसार इस तरह के कई और इस्तीफे आ सकते हैं।

बता दें कि हाल ही में दिलीप बिल्डकॉन के वैधानिक लेखा परीक्षकों के इस्तीफे की अफवाह के बाद कंपनी के शेयर गिर गए थे। साथ ही कंस्ट्रक्शन और इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी अटलांटा लिमिटेड की ऑडिटर प्राइस वाटरहाउस ने भी रिजाइन किया है। जबकि मनपसंद बेवरेजेस के महत्वपूर्ण डेटा शेयर करने में असफल होने पर कंपनी की ऑडिटर डिलॉयट ने रिजाइन कर दिया।

इस पूरे मामले में आंकड़े जुटाने वाली प्राइम डाटाबेस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रणव हल्दिया ने कहा कि जब इतने कम समय में ही इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स, ऑडिटर्स और सीएस ने इस्तीफा दे दिया, तो आमतौर पर इसका मतलब है कि चेतावनी बंद होनी चाहिए।" कंपनी कानून की अनिवार्यता के बाद ऑडिट रोटेशन समाप्त हो गया।

भारतीय ऑडिट फर्म के एक सीईओ ने कहा, "जांच के माहौल को देखते हुए, ऑडिट फर्म अतिरिक्त सावधानी बरत रही हैं। नए कंपनी कानून के साथ आईसीएआई की सख्ती के कारण नियामक संस्थागत निरीक्षण में वृद्धि हुई है। कोई ऑडिट कंपनी जोखिम लेने को तैयार नहीं है।"

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