Anarock report: रिवर्स माइग्रेशन से टियर-2 और टियर-3 शहरों में हाउसिंग डिमांड बढ़ने की संभावना

Anarock report: रिवर्स माइग्रेशन से टियर-2 और टियर-3 शहरों में हाउसिंग डिमांड बढ़ने की संभावना

Bhaskar Hindi
Update: 2020-05-25 12:19 GMT
Anarock report: रिवर्स माइग्रेशन से टियर-2 और टियर-3 शहरों में हाउसिंग डिमांड बढ़ने की संभावना

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोना काल में मेट्रो शहरों से हो रहे रिवर्स माइग्रेशन से टियर- 2 और टियर-3 सिटी में हाउसिंग डिमांड बढ़ने की संभावना है। प्रॉपर्टी कंसलटेंट फर्म एनरॉक की रिपोर्ट में ये बात सामने आई है। इस रिपोर्ट का टाइटल "इंडिया रियल एस्टेट: ए डिफरेंट वर्ल्ड पोस्ट कोविड-19" है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान समय में भारत के कुल आवासीय बाजार का 70 फीसदी हिस्सा टॉप-7 शहरों में है जबकि शेष 30 फीसदी हिस्सा टियर-2 और टियर-3 शहरों में है। भविष्य में आवासीय बाजार का यह औसत बदल सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि लखनऊ, इंदौर, चंडीगढ़, कोच्चि, कोयम्बटूर, जयपुर और अहमदाबाद जैसे शहरों को मेट्रो शहरों में नौकरी खोने वाले लोगों के रिवर्स माइग्रेशन का सबसे ज्यादा फायदा होगा। इन लोगों को टियर-2 और टियर-3 शहरों के सुपीरियर इंफ्रास्ट्रक्चर और कॉस्ट ऑफ लिविंग का लाभ मिलेगा। एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, "प्रवासी मजदूरों के बीच रिवर्स माइग्रेशन पहले से ही बहुत ज्यादा दिखाई देता है और यह ट्रेंड स्किल्ड प्रोफेशनल्स में भी देखने को मिल सकता है जिनकी नौकरी चली गई है या जाने की संभावना है। ऐसे में छोटे टाउन और शहरों में हाउसिंग डिमांड में तेजी देखने को मिलेगी।" उन्होंने कहा कि "प्राइमरी डिमांड किराए के घरों की हो सकती है और परचेज डिमांड स्थानीय निवेशकों से रेंटल डिमांड को पूरा करने के लिए आएगी।"

पुरी ने कहा,  "अमेरिका और यूरोपीय देशों में घटती नौकरी की संभावनाओं के चलते कई एनआरआई भी भारत लौटेंगे। उनके लिए टॉप 7 शहर सबसे अच्छे विकल्प होंगे, लेकिन कई एनआरआई छोटे शहरों का भी रुख करेंगे ताकि वह परिवार के करीब रह सकें। हालांकि रिवर्स माइग्रेटिंग इंडियन्स के लिए छोटे शहरों में उपयुक्त रोजगार ढूंढना चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। लॉकडाउन के दौरान एनरॉक के हालिया कंज्यूमर सर्वे से संकेत मिलता है कि जिन लोगों ने 2020 में टियर-2 और टियर-3 शहरों में निवेश किया है उनमें 61 प्रतिशत एंड-यूज़र हैं। इसमें से लगभग 55 प्रतिशत लोग 35 वर्ष से कम आयु के हैं। कम से कम 47 प्रतिशत लोगों का फोकस 45 लाख रुपये से कम की एफोर्डेबल प्रॉपर्टी पर केंद्रित है। जबकि 34 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो 45-90 लाख रुपये के बीच के घरों की तलाश में हैं।

रिपोर्ट के अनुसार रेसिडेंशियल सेगमेंट में टाउनशिप प्रोजेक्ट की मांग में कई गुना वृद्धि देखी जाएगी जो एक कंट्रोल्ड इनवॉयरमेंट प्रदान करते हैं। सप्लाई के टर्म में आज की तारीख में टॉप सात शहरों में टाउनशिप प्रोजेक्ट की कुल हिस्सेदारी 5 प्रतिशत से भी कम है। ब्रांडेड डेवलपर्स के लिए बढ़ी हुई प्राथमिकता के साथ आगे और मार्केट कंसोलिडेशन की उम्मीद है। वित्तीय रूप से मजबूत ऑर्गनाइज्ड प्लेयरों के आने वाले वर्षों में 75-80 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी पर कब्जा करने की संभावना है।

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