क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार का बड़ा फैसला, बिल के जरिए बनाएगी क्रिप्टो करेंसी के नए नियम

क्रिप्टोकरेंसी पर लगाम कसने की तैयारी क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार का बड़ा फैसला, बिल के जरिए बनाएगी क्रिप्टो करेंसी के नए नियम

Manuj Bhardwaj
Update: 2021-11-24 07:16 GMT
क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार का बड़ा फैसला, बिल के जरिए बनाएगी क्रिप्टो करेंसी के नए नियम
हाईलाइट
  • 29 नवंबर से शुरू हो रहा है शीतकालीन सत्र
  • केंद्र सरकार ने आगामी शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी बिल लाने की घोषणा कर दी है
  • क्रिप्टोकरेंसी में 15 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सख्ती के मूड में नजर आ रही है। क्रिप्टोकरेंसी पर लगाम कसने की औपचारिक शुरुआत हो चुकी है। सूत्रों की माने तो सरकार निजी क्रिप्टो को बैन करने का मन बना चुकी है और वह खुद की एक आधिकारिक क्रिप्टोकरेंसी लाएगी। केंद्र सरकार ने आगामी शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी बिल (Cryptocurrency Bill) लाने की घोषणा कर दी है, शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू हो रहा है ।

सरकार के इस ऐलान के बाद से भारत में क्रिप्टो बाजार काफी तेजी के साथ नीचे आया। लगभग हर बड़े क्रिप्टोकरेंसी में 15 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। 

बिटकॉइन (Bitcoin) 17 फीसदी तक गिर गया था, वहीं Ethereum में 15 फीसदी की गिरावट देखी गई थी। मार्केट कैप के लिहाज से तीसरा सबसे बड़ा क्रिप्टो
 Tether तो 18 फीसदी तक गिर गया था। 

क्या है क्रिप्टोकरेंसी बिल?

सरकार क्रिप्टोकरेंसी के रेगुलेशन के लिए जो बिल ला रही है उसका नाम है- क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक 2021 (Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021)। इस बिल के जरिए सरकार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के तहत एक अपनी खुद की एक आधिकारिक डिजिटल करेंसी जारी करने के लिए एक फ्रेमवर्क तैयार करेगी।

इस बिल के तहत ही सारी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी बैन की जाएंगी। हालांकि, सूत्रों की माने तो क्रिप्टोकरेंसी टेक्नोलॉजी के उपयोग को लेकर सरकार कुछ ढील भी दे सकती है। 

आगामी शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार 26 बिल पेश कर सकती है। इसी दौरान भारत में क्रिप्टोकरेंसी का रेगुलेशन सुनिश्चित करने वाला यह क्रिप्टो बिल भी पेश किया जाएगा। 

पिछले कुछ समय से क्रिप्टो पर काफी सक्रिय है सरकार 

पिछले कुछ हफ्तों से केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी को लेकर काफी एक्टिव नजर आई। अभी पिछले हफ्ते ही इस संबंध में पहली बार संसदीय समिति की एक बैठक हुई थी। 16 नवंबर को वित्त मामलों में गठित संसद की स्थायी समिति (Standing Committee on Finance) की क्रिप्टो एक्सचेंज, ब्लॉकचेन, क्रिप्टो एसेट काउंसिल, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों और अन्य संबंधित पक्षों के साथ क्रिप्टोकरेंसी के रेगुलेशन और प्रोत्साहन से जुड़े पहलू पर विचार किया गया था।

इस बैठक के बाद ये बात निकलकर सामने आयी थी कि क्रिप्टोकरेंसी को बैन न करके रेगुलेट किया जा सकता है और इसे करेंसी की मान्यता ना देकर एसेट्स (Assets) जैसे बांड्स, शेयर्स, आदि का दर्जा दिया जा सकता है। 

पीएम मोदी ने भी इसको लेकर कई मंत्रालयों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की थी। वहीं, पिछले गुरुवार को सिडनी संवाद कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अपने संबोधन में क्रिप्टो को लेकर सरकार के इरादे साफ जाहिर कर दिए थे।

उन्होंने कहा था कि, "क्रिप्टोकरेंसी या बिटकॉइन का उदाहरण ले लीजिए। यह बहुत जरूरी है कि सभी लोकतांत्रिक देश इस पर काम करें और यह सुनिश्चित करें कि यह गलत हाथों में न पड़े, क्योंकि इससे हमारे युवा पर गलत असर पड़ेगा।"

आरबीआई के गवर्नर पहले ही जता चुके हैं चिंता 

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सारी बातें सरकार के सामने रख चुके हैं। उन्होंने इससे होने वाले वित्तीय जोखिम से सरकार को अवगत कराया था। दास ने कहा, "आंतरिक विमर्श के बाद आरबीआई की यह राय है कि वृहत आर्थिक और वित्तीय स्थिरता पर गंभीर चिंताएं हैं और इनके बारे में गहन चर्चा करने की जरूरत है।

निवेशकों को इसके जरिये लुभाने की कोशिश की जा रही है। क्रिप्टो खाते खोलने के लिए ऋण भी दिए जा रहे हैं।"

 

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