भाजपा नगरसेवक को स्थाई समिति से हटाने कानूनी लड़ाई पर खर्च हो गए 1 करोड़

बीएमसी भाजपा नगरसेवक को स्थाई समिति से हटाने कानूनी लड़ाई पर खर्च हो गए 1 करोड़

Tejinder Singh
Update: 2021-11-17 15:46 GMT
भाजपा नगरसेवक को स्थाई समिति से हटाने कानूनी लड़ाई पर खर्च हो गए 1 करोड़

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महानगर पालिका (बीएमसी) भाजपा नगरसेवक भालचंद्र शिरसाट को स्थायी समिति की सदस्यता से हटाने की कानूनी लड़ाई तो हार ही गई लेकिन इस कोशिश में उसे एक करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने पड़े। सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत यह खुलासा हुआ है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने बीएमसी के कानूनी विभाग से शिरसाट की सदस्यता के खिलाफ कानूनी लड़ाई की खर्च का ब्यौरा मांगा था। उन्होंने उच्च और सर्वोच्च न्यायलय में नियुक्त वकीलों को किए गए भुगतान से भी जुड़ी जानकारी मांगी थी। जवाब में खुलासा हुआ कि सर्वोच्च न्यायालय में कानूनी लड़ाई में कुल 27 लाख 38 हजार रुपए खर्च हुए जिनमें से वकील मुकुल रोहतगी को 17 लाख 50 हजार रुपए का भुगतान किया गया। वहीं मामले में कांफ्रेंस के लिए 6.50 लाख रुपए और दो बार सुनवाई के लिए 11 लाख रुपए भी दिए गए। वकील ध्रुव मेहता को 5.50 लाख जबकि सुकुमारन को ड्राफ्ट, कांफ्रेंस और याचिका के लिए 1 लाख रुपए दिए गए। इसके अलावा मामले में 3.36 लाख रुपए का खर्च और हुआ। 

वहीं हाईकोर्ट में कानूनी लड़ाई के दौरान बीएमसी को कुल 76 लाख 60 हजार रुपए खर्च करने पड़े। वरिष्ठ वकील जोएल कार्लोस को नौ बार सुनवाई के लिए 3.80 लाख रुपए दिए गए। वकील एस्पी चिनाई को ड्राफ्टिंग के लिए 7.50 लाख रुपए, वकील एवाई साखरे को भी 40 हजार रुपए दिए गए। इसके अलावा 6 बार सुनवाई और कांफ्रेंस के लिए उन्हें 14 लाख 90 हजार रुपए का भुगतान किया गया। वकील एस्पी चिनाई ने मनपा की ओर से 7 बार सर्वोच्च न्यायालय में मामले की पैरवी की। हर सुनवाई के लिए 7.5 लाख की दर से उन्हें 52 लाख 50 हजार रुपए का भुगतान किया गया। वकील आरएम कदम को भी 5 लाख रुपए दिए गए हैं। गलगली के मुताबिक यह कानूनी लड़ाई गैरजरूरी थी। लोगों से कर के रुप में जमा किए गए पैसे खर्च करने को लेकर जिम्मेदारी निर्धारित की जानी चाहिए। 

 

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