ढहेगा चंद्रपुर का 268 वर्ष पुराना कलेक्ट्रेट 

ढहेगा चंद्रपुर का 268 वर्ष पुराना कलेक्ट्रेट 

Anita Peddulwar
Update: 2019-01-21 10:55 GMT
ढहेगा चंद्रपुर का 268 वर्ष पुराना कलेक्ट्रेट 

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। वैसे तो इंद्रपुर से लोकपुर, चांदा और चंद्रपुर के नामकरण तक पहुंचने का सफर 300 वर्ष पुराना है, लेकिन गोंड शासकों ने करीब 268 साल पहले अर्थात वर्ष 1751 में यहां अपने साम्राज्य की नींव को मजबूत करने और लगान वसूलने कचहरी का निर्माण कराया। गोंड के बाद भोसले और ब्रिटिशों ने यहां हुकूमत की। आजादी के बाद इसी इमारत में जिलाधिकारी कार्यालय शुरू किया गया। संघर्ष व इतिहास को समेटे हुई इस इमारत की उपयोगिता अब समाप्त हो चुकी है। यहां अत्याधुनिक जिलाधिकारी कार्यालय का निर्माण करने के लिए 600  करोड़ का प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा गया है।

यह राहत की खबर
प्रस्ताव में पुरानी इमारत को तोड़कर परिसर में सभी सरकारी विभागों के लिए इमारत उपलब्ध कराई जाएगी। इसमें अत्याधुनिक सुविधाएं, सीसीटीवी, ऑडियो-वीडियो कक्ष, पार्किंग, लिफ्ट आदि का लाभ नागरिकों को मिलेगा। 

यह दर्द की दास्तां
आजादी के संघर्ष व उसके बाद से अब तक विविध मुद्दों को लेकर किए गए आंदोलनों की गवाह रही यह इमारत ढहाए जाने पर यह केवल यादों में ही शेष रह जाएगी। इस इमारत से जुड़ा भावनात्मक लगाव दर्द की दास्तां बन जाएगा। 

इतिहास
वर्ष 1751 में गोंड राजा ने कचहरी का निर्माण कराया। 1853 तक भोंसले साम्राज्य ने यहीं से लगान वसूल किया। 1854  में चंद्रपुर को स्वतंत्र जिला घोषित किया गया। 1874  में केवल 3  तहसीलें थी। ब्रिटिशों ने इस जिले को चांदा नाम दिया। आजादी मिलने के बाद 1956 में मध्यप्रदेश से विभक्त कर चंद्रपुर जिले को बॉम्बे प्रांत में जोड़ा गया।1960 में महाराष्ट्र की स्थापना हुई तो वर्ष 1964 में यह जिला चंद्रपुर कहलाया। राजस्व वसूली के लिए इसी जिला कचहरी से सभी कामकाज किए जाते रहे। 

प्रस्ताव को शीघ्र मंजूरी मिलने की उम्मीद 
पालकमंत्री के निर्देश पर अनेक विकास कार्य जारी हैं। इसी श्रृंखला में जिलाधिकारी कार्यालय को अत्याधुनिक करने के लिए नई इमारत का प्रस्ताव बनाया गया है। 600 करोड़ के प्रस्ताव को फरवरी माह के अंत तक राज्य के विशेष बजट में इसे मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
- डॉ. कुणाल खेमनार, जिलाधिकारी, चंद्रपुर

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