लॉक डाउन के चलते 44 फीसदी श्रमिकों की गई नौकरी, 25 % बगैर वेतन काम करने को मजबूर

लॉक डाउन के चलते 44 फीसदी श्रमिकों की गई नौकरी, 25 % बगैर वेतन काम करने को मजबूर

Tejinder Singh
Update: 2021-01-28 16:12 GMT
लॉक डाउन के चलते 44 फीसदी श्रमिकों की गई नौकरी, 25 % बगैर वेतन काम करने को मजबूर

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना संक्रमण के कारण लगे लॉकडाउन के चलते देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में 44 फीसदी अकुशल श्रमिकों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। प्रजा फाउंडेशन के सर्वे में यह खुलासा हुआ है। सर्वे में शामिल 66 फीसदी लोगों ने स्वीकार किया कि कोरोना संक्रमण के चलते उनके कामकाज पर प्रतिकूल असर पड़ा है। इस दौरान 25 फीसदी लोगों को बिना वेतन के काम करना पड़ा। 36 फीसदी लोगों को बिना वेतन के छुट्टी लेनी पड़ी। 28 फीसदी लोगों के वेतन में कटौती की गई जबकि 13 फीसदी लोगों को अतिरिक्त काम करना पड़ा। प्रजा फाउंडेशन ने गुरूवार को मुंबई में कोविड 19 का प्रभाव-आजीविका, स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास और परिवहन से जुड़ी अपनी रिपोर्ट जारी की जिसे घरेलू सर्वेक्षण के आधार पर तैयार किया गया है। प्रजा फाउंडेशन के संस्थापक और प्रबंधक ट्रस्टी निताई मेहता ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान सभी क्षेत्रों में आजीविका और रोजगार प्रभावित हुआ है। इसके चलते महानगर से करीब 23 फीसदी लोगों को अपने गांव वापस लौटना पड़ा। मुंबई छोड़कर जाने वालों में 57 फीसदी की नौकरी चली गई थी। सर्वे में यह भी पता चला कि इससे लोगों की जीवनशैली में भी बदलाव आया है। 63 फीसदी लोगों ने कहा कि वे भविष्य में भी घर से काम जारी रखना चाहेंगे। इनमें 70 फीसदी महिलाएं और 59 फीसदी पुरुष थे। 

लॉकडाउन ने बढ़ाया तनाव

कोरोना संक्रमण के दौरान दूसरी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। डॉक्टरों/कर्मचारियों की गैरमौजूदगी और स्वास्थ्य सुविधाएं बंद होने के चलते दूसरी बीमारियों से कई लोगों की जान चली गई। इसके अलावा सर्वे में शामिल 60 फीसदी लोगों ने माना कि उन्होंने लॉकडाउन के दौरान तनाव का सामना किया। इनमें से ज्यादातर लोगों ने इसे लेकर किसी से बात नहीं की जो खतरनाक साबित हो सकता है। 

ऑनलाइन शिक्षा का नकारात्मक असर

लॉकडाउन में स्कूल, कॉलेज बंद होने के चलते विद्यार्थी ऑनलाइन शिक्षा पर निर्भर रहे। लेकिन कंप्यूटर और मोबाइल पर घंटों बिताने के चलते सर्वे में शामिल 63 फीसदी लोगों ने कहा कि ऑनलाइन कक्षाओं के चलते बच्चे आलसी और चिड़चिड़े हो गए हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में बच्चों की आंखों की रोशनी प्रभावित हुई है। 54 फीसदी अभिभावक चाहते हैं कि अब उनके बच्चे स्कूल में जाकर पढ़ाई करें। 

 

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