कॉलोनाइजरों पर 50 करोड़ रू. बकाया ,पांच साल बाद भी वसूल नहीं कर पाया नगर निगम 

कॉलोनाइजरों पर 50 करोड़ रू. बकाया ,पांच साल बाद भी वसूल नहीं कर पाया नगर निगम 

Bhaskar Hindi
Update: 2019-05-31 08:47 GMT
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डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। अवैध कॉलोनाइजरों पर वसूली पिछले पांच सालों से पेंडिंग पड़ी है। 2014 में राजस्व अधिकारियों ने 172 अवैध कॉलोनियों की सूची बनाकर नगर निगम के सुपुर्द की थी। तब इन कॉलोनाइजरों से 16 करोड़ 85 लाख की वसूली राजस्व अमले को करनी थी। पिछले पांच सालों में अब ये आंकड़ा  बढ़कर 50 करोड़ तक पहुंच गया है,लेकिन वसूली एक कॉलोनाइजर से भी अधिकारी नहीं कर पाए हैं।

2009 से चल रहा है खेल

नगर निगम गठन के पहले शहर के आसपास अवैध कॉलोनियों को काटकर कई कॉलोनाइजर मालामाल हो गए। 2009 में पहली बार इन कॉलोनाइजरों के खिलाफ राजस्व अधिकारियों ने कार्रवाई शुरु की थी। तब इन अवैध कॉलोनाइजरों की संख्या 199 थी। अधिकारियों की सख्ती के बाद तकरीबन 27 कॉलोनाइजरों ने बकाया राशि जमा कराते हुए जुर्माना अधिकारियों के समक्ष जमा किया था, लेकिन 2014 में निगम के गठन के बाद ये सभी प्रकरण नगर निगम को हस्तांतरित हो गए, जब इन 172 कॉलोनाइजरों से तकरीबन 16 करोड़ 85 लाख वसूली की जानी थी। इन पांच सालों में वसूली तो हुई नहीं उल्टा वसूली का ये आंकड़ा 50 करोड़ तक पहुंच चुका है।

पंचायतों की अनुमति के आधार पर काट दी कॉलोनी 
नगर निगम के गठन के पहले चंदनगांव, लोनिया करबल, खजरी, कुकडा जैसे क्षेत्र पंचायत के अधीन हुआ करते थे। सबसे ज्यादा कॉलोनी चंदनगांव और परासिया रोड में काटी गई। पंचायतों की अनुमति के आधार पर कॉलोनाइजरों ने करोड़ों के वारे-नारे कर दिए। प्रशासन को कोई विकास शुल्क नहीं दिया। वहीं इन कॉलोनियों में पानी, बिजली, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं का विस्तार भी नहीं कराया।

सूची में थे शहर के नामचीन नाम 
कॉलोनियां काटकर मालामाल हुए अवैध कॉलोनाइजरों की सूची में कई नामचीन नाम शामिल है। जिनकी सत्ता और विपक्ष की राजनीति में सीधे दखलंदाजी है। यहीं कारण है कि सरकार किसी की भी रहे, इन कॉलोनाइजरों से वसूली कर पाना किसी भी अधिकारी के वश में नही रहता है। हाल ही में निगम ने जिन कॉलोनियों को वैध किया था उस वैध करने की प्रक्रिया भी कॉलोनाइजरों के मुंह देखकर की गई थी। 

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