बंजर पहाड़ी को कर दिया हराभरा, 20 साल में 6 हजार सागौन के पौधे लगाए
बंजर पहाड़ी को कर दिया हराभरा, 20 साल में 6 हजार सागौन के पौधे लगाए
डिजिटल डेस्क, छिन्दवाड़ा/परासिया। सागौन वानिकी के माध्यम से पश्चिमी न्यूटन चिखली में आदिवासी शिक्षक दम्पति ने अपने खेत के आसपास बंजर पहाड़ी को सागौन के पेड़-पौधों से हराभरा कर दिया है। लगातार 20 साल से वे इस काम को अंजाम दे रहे हैं। अब तक उनकी जमीन पर 5 हजार सागौन के पेड़ तैयार हो गए हैं, वहीं इसके अलावा एक हजार पौधे भी जल्द पेड़ बन जाएंगे। इस साल भी उन्होंने सैकड़ों सागौन पौधों के रोपण की तैयारी की है।
जुन्नारदेव ब्लाक के मिडिल स्कूल कोहनिया में पदस्थ प्रधान पाठक महेश कुमार सराठे ने अपने हिस्से में आई 7.68 हेक्टेयर पैतृक जमीन पर सागौन वानिकी को अपनाकर पहाड़ी को हराभरा कर दिया है। उनके इस काम में उनकी पत्नी सुहागवती सराठे का पूरा सहयोग रहा है, जो छिंदवाड़ा ब्लाक के मिडिल स्कूल चंदनगांव में पदस्थ प्रधान पाठिका है। महेश सराठी इस कार्य की प्रेरणा स्त्रोत अपनी मां स्व. जुगिया बाई और पिता स्व. गमीरा सराठे को देते हैं। उन्हें पेड़ पौधे लगाने का खूब शौक रहा है।
सबसे खराब जमीन ली
महेश सराठी बताते हैं कि उनकी पैतृक जमीन 18 एकड़ थी। तीन भाईयों में बड़ा भाई विद्युत विभाग और छोटा भाई वेकोलि में नौकरी करते थे। वहीं महेश सराठी और उनकी पत्नी शिक्षा विभाग में पदस्थ हैं। जिससे उन्होंने चांदशाह वली दरगाह पहाड़ी के नीचे वाली सबसे खराब और अनुपयोगी जमीन को अपने लिए चुना और उस पर सौगान रोपण करने का निर्णय लिया। उनके हिस्से मेंं आई जमीन में 75 फीसदी जमीन पहाड़ी और बंजर थी।
बीस साल में लगाए 6 हजार सागौन
महेश सराठी वर्ष 1997 से अपने खेत में सागौन रोपण कार्य कर रहे हैं। अब तक उन्होंने 6 हजार पौधे लगाए हैं। पौधों को गर्मिेयों में पानी उपलब्ध करवाने उन्होंने एक छोटा कुआं बनाया, जिसमें कम पानी निकलने पर बड़ा और गहरा कुआं खनन करवाया। पानी से गर्मियों में हर पौधे को पर्याप्त पानी उपलब्ध करवाते हुए उनकी देखभाल कर बड़ा किया। इस काम में कई लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं।
दूध डेयरी और मुर्गीपालन प्रस्तावित
महेश सराठे अब अपने सागौन के बगीचा में दूध डेयरी और मुर्गी पालन शुरू करना चाहते हैं, जिसके लिए उन्होंने प्रस्ताव तैयार किया है। जिससे लोगों को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे।
योजना से हुए उत्साहित
पहले सागौन के पेड़ों की कटाई के कड़े नियम से किसान उसे लगाने से बचने का प्रयास करते थे। प्रदेश सरकार ने निजी भूमि पर वनीकरण को बढ़ावा देने नियमों को सरल किया, जिससे भूमि स्वामी अपनी जमीन पर लगे सागौन पेड़ों को काटकर बेच सकता है। उसे वन विभाग अथवा राजस्व विभाग से अनुमति की आवश्यकता नहीं रहेगी।
महेश सराठे कहते हैं कि इससे प्रभावित होकर ही उन्होंने अपने खेत में सागौन वनीकरण को अपनाया है। वर्ष 2016-17 में कृषक समृधि योजना के तहत अनुसंधान विस्तार सिवनी द्वारा नि:शुल्क सागौन पौधे भी उपलब्ध करवाए गए।