दो बीजों के भरोसे लहलहा दिया पपीते का बगीचा

आंबाखापा शिवार के किसान ने प्रस्तुत की मेहनत की मिसाल दो बीजों के भरोसे लहलहा दिया पपीते का बगीचा

Abhishek soni
Update: 2022-03-27 17:38 GMT
दो बीजों के भरोसे लहलहा दिया पपीते का बगीचा

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा/पांढुर्ना। मंजिल उन्हें ही मिलती हैै जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौंसलों से उड़ान होती है, कुछ ऐसा ही चरितार्थ कर दिखाया है अंबाखापा के किसान नारायण गाकरे ने। नारायण ने महज दो बीजों के भरोसे अपने खेत में पपीते के दो सौ पौधों का बगीचा तैयार कर लिया। उनके बगीचे के स्वादिष्ट पपीतों से नारायण की फल बाजार में अलग ही पहचान बन गई है। पथरीली जमीन में मीठे पपीते के बगीचे को देखकर अन्य किसान आश्चर्यचकित हो रहे हैं। दरअसल यह बगीचा उन्होंने पपीते के महज दो बीजों से तैयार किया है।
किसान नारायण गाखरे ने बताया कि चार साल पहले पपीता का बगीचा लगाकर उन्होंने अतिरिक्त आमदनी की योजना बनाई। उन्होंने बाजार से पपीता के 270 बीजों वाला पैकेट सोलह सौ रूपए में खरीदा। उन्होंने नर्सरी में बीजों का रोपण किया। पौधे भी ऊग गए लेकिन परिस्थितियों ने साथ नहीं दिया और पौधे सूखने लगे। केवल दो पौधे ही बच पाए। उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से दोबारा पैकेट लेकर रोपण करने की हिम्मत नही हुई। उन्होंने बचे हुए दो पौधों को ही लगाकर उनका पोषण किया। ये पौधे तैयार हो गए और पेड़ बनने के बाद इनमें पपीता भी लगी। इसमें से भी मात्र एक पेड़ बचा रहा। इसी पेड़ में लगी पपीता के बीजों के बीजों को एकत्र कर वे पौधे उगाते गए और वर्तमान में दो सौ पेड़ों का बागान तैयार कर पाया। मार्केट में इन दिनों पपीता 20 से 25 रूपए किलो तक बिक रही हैं।
संतरांचल में पपीता अनुकरणीय पहल
जानकार बताते हंै कि आमतौर पर संतरांचल में अधिकांश किसान पपीता की खेती नहीं करते, क्योंकि पपीता की अच्छी फसल के लिए खेत में पानी निकलने का सही इंतजाम का होना और उचित हवा के साथ काली उपजाऊ भूमि का होना बहुत जरूरी है। अगर खेत में पानी ज्यादा आ जाए, तो पौधे की जड़ें और तना सडऩे लगता है। पपीता की फसल के लिए मेहनत और ध्यान देने की जरूरत ज्यादा होती है। पथरीली जमीन और पानी की कमी के बावजूद किसान नारायण गाखरे ने पपीता का बगीचा तैयार कर किसानों को राह दिखाई है।

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