एसिड हमले की पीड़िता को नहीं मिला मुआवजा, कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार

एसिड हमले की पीड़िता को नहीं मिला मुआवजा, कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार

Tejinder Singh
Update: 2018-01-05 13:07 GMT
एसिड हमले की पीड़िता को नहीं मिला मुआवजा, कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने एसिड हमले की शिकार पीड़िता को पुरानी मनोधैर्य योजना के तहत अब तक मुआवजा न देने के लिए सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि मुआवजा देने को लेकर सरकार का यह रुख सिर्फ एसिड हमले का शिकार पीडिता के मामले में ही नहीं दिखता है ऐसी ही स्थिति आत्महत्या करने वाले किसान के घरवालों को एक लाख रुपए का मुअावजा देने में भी नजर आता है। यह कहते हुए हाईकोर्ट ने साल 2012 में एसिड हमले का शिकार हुई पीड़िता आरती ठाकुर को तीन सप्ताह के भीतर तीन लाख रुपए मुआवजे के रुप में भुगतान करने का निर्देश दिया है। 

सरकार की लापरवाही पर हाईकोर्ट की फटकार

अब तक मुआवजे की रकम का भुगतान न किए जाने को लेकर ठाकुर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में ठाकुर ने दावा किया है कि कोर्ट ने साल 2015 में ही सरकार को पुरानी मनोधैर्य योजना के तहत मुआवजे की रकम का भुगतान करने का निर्देश दिया था। लेकिन अब तक इस रकम का भुगतान नहीं किया है। सरकार ने बलात्कार पीड़िता व एसिड हमले का शिकार लोगों को आर्थिक सहयोग देने के उद्देश्य से मनोधैर्य योजना बनाई है। 

जस्टिस आरएम बोर्डे व जस्टिस राजेश केतकर की खंडपीठ ने याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद कहा कि सरकार एसिड हमले का शिकार पीड़िता को मुआवजा देकर कोई एहसान नहीं कर रही है। जब अदालत ने पीड़िता को मुआवजे की रकम देने का निर्देश दे दिया था तो उसके लिए इस प्रकरण में विचार करने के लिए कोई जगह ही नहीं बची थी। इसके साथ ही सरकार ऐसे मामलों में सरकारी अधिकारियों को पीडिता के यहां क्यों नहीं भेजती है।

कोर्ट ने कहा किसान परिवारों को लेकर भी यही है रवैया 

सुनवाई के दौरान सरकारी वकील नेहा भिड़े ने कहा कि पुरानी मनोधैर्य योजना की कट आफ डेट में अस्पष्टता होने के चलते देरी हुई है। इसके अलावा हम पीड़िता के इलाज खर्च को लेकर भ्रमित थे। लेकिन अब सरकार जल्द से जल्द पीड़िता को मुआवजे की रकम का भुगतान करेगी। जो रकम अस्पताल को देनी है वह सीधे अस्पताल को दी जाएगी जो रकम पीड़िता ने अपने इलाज में खर्च किया है वह रकम सीधे उसे भुगतान की जाएगी। इसके अलावा सरकार ने संशोधित मनोधैर्य योजना बनाई है। जिसको लेकर सरकार जल्द ही शासनादेश जारी करेगी। 

कोर्ट ने कहा सरकार का रुख ठीक नहीं

खंडपीठ ने कहा कि इस तरह के मामले में सरकार ऐसा रुख उचित नहीं है। इस तरह के प्रकरणों में सरकार औपचारिकताओं पर क्यों जोर देती है। वैसे सरकार का ऐसा रुख आत्महत्या करनेवाले किसान के घरवालों को एक लाख रुपए का मुआवजा देने में भी नजर आता है। याचिकाकर्ता की वकील मिनाज ने कहा कि हमने काफी पहले मुआवजे की रकम के लिए मुअावजा किया है। जिसमें मेरे मुवक्किल ने इलाज के खर्च का पूरा ब्यौरा दिया है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने सरकार को तीन सप्ताह के भीतर अंतरिम तौर पर पीडिता को तीन लाख रुपए देने का निर्देश दिया। 

 

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