हाईकोर्ट : एक सप्ताह में 833 अनधिकृत स्कूली वाहनों के खिलाफ कार्रवाई, ऐतराज करनेवाले शिक्षकों के प्रति नाराजगी

हाईकोर्ट : एक सप्ताह में 833 अनधिकृत स्कूली वाहनों के खिलाफ कार्रवाई, ऐतराज करनेवाले शिक्षकों के प्रति नाराजगी

Tejinder Singh
Update: 2020-01-20 13:32 GMT
हाईकोर्ट : एक सप्ताह में 833 अनधिकृत स्कूली वाहनों के खिलाफ कार्रवाई, ऐतराज करनेवाले शिक्षकों के प्रति नाराजगी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के परिवहन विभाग ने राज्य भर में  एक सप्ताह के भीतर अवैध रुप से चलनेवाले 833 स्कूली वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की है। जिसमें स्कूल वैन, आटोरिक्शा, व स्कूल बस का सामवेश है। सहायक सरकारी वकील मनीष पाबले ने बांबे हाईकोर्ट को यह जानकारी दी। मामले की पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को अवैध रुप से स्कूली बच्चों को ले जाने  व लानेवाले वाहनों के खिलाफ विशेष जांच अभियान शुरु करने व उसे जारी रखने का निर्देश दिया था। जिसके तहत परिवहन विभाग ने सात जनवरी 2020 से 14 जनवरी 2020 के बीच अनधिकृत स्कूली वाहनों के खिलाफ विशेष जांच अभियान चलाया था हाईकोर्ट में पैरेंट्स टीचर्स एसोसिएशन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में मांग की है कि स्कूली वाहनों को सुरक्षा से जुड़े नियमों व मोटर वेहिकल कानून के प्रावधानों का पालन करने का निर्देश दिया जाए। ताकि स्कूली बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।  सोमवार को यह याचिका न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान सरकारी वकील पाबले ने खंडपीठ को परिवहन विभाग की ओर से अवैध रुप से चलनेवाले स्कूली वाहनों के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्यौरा दिया। जिसके अंतर्गत अमरावती में नियमों के खिलाफ चलनेवाले 88 वाहन पाए गए। जबकि नागपुर शहर में 70 और नागपुर ग्रामीण में 81, औरंगाबाद में 134, व नाशिक में 44, धुले में 37, पुणे में 61 व लातूर में 75 सहित अन्य इलाकों में मिलकर राज्य भर में नियमों के खिलाफ चलनेवाले 833 वाहन पाए गए। इसमें दुपहिया वाहन भी शामिल है जिसमें क्षमता से अधिक बच्चों को बीठाया गया था। कुछ दुपहिया वाहन में बच्चों को हेल्मेट नहीं पहनाया गया था। इसके अलावा ठेके पर बच्चों को ले जानेवाले आटोरिक्शा व अन्य वहानों के खिलाफ कार्रवाई की गई। कई ऐसे वाहन पाए गए जिनके पास स्कूली वाहन के रुप में चलने के लिए जरुरी अनुमति,बीमा प्रमाणपत्र व अग्निशमन न होने के लिए कार्रवाई की गई है। विशेष जांच अभियान के दौरान 110 वाहनों को जब्त भी किया गया है। सरकारी वकील की ओर से  वाहने के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी हलफनामे में न देने के लिए खंडपीठ ने नाराजगी जाहिर की खंडपीठ ने कहा कि सरकारी अधिकारी नियमों का उल्लंघन करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई कर किसी पर कोई उपकार नहीं कर रहे है। सरकारी वकील की ओर से एक पन्ने में दी गई जानकारी पर खंडपीठ ने कहा कि एक पन्ने की जानकारी सरकारी अधिकारियों के प्रमुख को खुश करेगी हमे नहीं। खंडपीठ ने कहा कि परिवहन विभाग जो भी जानकारी देना चाहता है वह हलफनामे में दे। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। 

ऐतराज जाहिर करनेवाले शिक्षकों के प्रति हाईकोर्ट ने व्यक्त की नाराजगी

बांबे हाईकोर्ट ने मतदाता सूची की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने को लेकर शिक्षको की ओर से ऐतराज जाहिर करने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। हाईकोर्ट ने कहा कि शिक्षकों से मतदाता सूची से जुड़े कार्य को करने के लिए आखिर सहयोग क्यों न लिया जाए?  किस कानून में लिखा है कि शिक्षक सिर्फ मतदान के दिन ही चुनावी ड्युटी करेगे? लोकतांत्रित व्यवस्था में प्रशासन व चुनाव अयोग द्वारा  शिक्षकों से सहयोग की अपेक्षा रखने में क्या गलत है? मतदाता सूची से जुड़े कार्य को आखिर यातना भरा कैसे माना जा सकता है? यदि उन्हें यह कार्य कठीन लगता है तो वे दूसरे काम के बारे में विचार करे। हमे वह कानून दिखाया जाए जो शिक्षकों को चुनाव का कामकाज न करने का अधिकार देता हो। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ ने यह  टिप्पणी और सवाल महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक  शिक्षक समिति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान किया। याचिका में मुख्य रुप से शिक्षकों को मतदाता सूची की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने से जुड़ा कार्य करने के लिए बाध्य किए जाने के निर्णय को चुनौती दी गई है। याचिका में साफ किया गया है कि शिक्षकों को चुनाव संबंधी कार्य में नहीं लगाया जा सकता है, सिर्फ चुनावी ड्युटी में ही लगाया जा सकता है।  इससे शिक्षकों का अध्यापन से जुड़ा कार्य प्रभावित होता है। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने खंडपीठ के सामने कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) की धारा 27 के मुताबिक शिक्षकों को गैर शैक्षणिक गतिविधि से जुड़े कार्य में नहीं लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को अपने लिए अलग से स्टाफ की व्यवस्था करनी चाहिए। हर साल शिक्षकों को मतदाता सूची से संबंधी कार्य सौपा जाता है। याचिका पर उल्लेेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि चुनाव संबंधी कार्य से याचिकाकर्ता का क्या अभिप्राय है? और चुनावी ड्युटी का अर्थ चुनाव के दिन ही ड्युटी के लिए बुलाना नहीं होता है। जहां तक बात चुनाव के कार्य की है तो इसकी शुरुआत मतदाता सूची तैयार करने से होती है और चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद खत्म। शिक्षकों का कार्य विश्वसनीय होता है इसलिए चुनाव आयोग शिक्षकों से सहयोग लेता है। हर साल मतदाता सूची में मतदाताओं की नई  संख्या जुड़ती है इसलिए शिक्षकों से सहयोग की अपेक्षा की जाती है। खंडपीठ ने कहा कि हम इस मामले में मंगलवार को आदेश जारी करेगे। 
 

 

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