आदित्य के चुनाव लड़ने का मतलब नहीं की मैं सन्यास ले रहाः उद्धव

आदित्य के चुनाव लड़ने का मतलब नहीं की मैं सन्यास ले रहाः उद्धव

Tejinder Singh
Update: 2019-10-07 15:15 GMT
आदित्य के चुनाव लड़ने का मतलब नहीं की मैं सन्यास ले रहाः उद्धव

डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि मेरे बेटे आदित्य ठाकरे के राजनीति में उतरने का यह अर्थ नहीं है कि मैं राजनीति से सन्यास ले रहा हूं। पार्टी के मुखपत्र सामना में छपे इंटरव्यू में उद्धव ने दोहराया है कि एक न एक दिन महाराष्ट्र में शिवसेना का मुख्यमंत्री बन कर रहेगा। शिवसेना पक्ष प्रमुख ने दावा किया है कि उनकी पार्टी ने 2014 के विधानसभा चुनावों में ‘मोदी लहर’ पर लगाम लगाई थी। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अब इस बहस में जाने का कोई मतलब नहीं है कि उस समय वे भाजपा से क्यों अलग हुए थे।   

एक न एक दिन बनेगा शिवसेना का सीएम 

इस बार शिवसेना राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से 124 पर चुनाव लड़ रही है जबकि उसकी गठबंधन सहयोगी भाजपा ने 150 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। बाकी सीटें भाजपा के हिस्से से छोटे दलों के लिये छोड़ी गई हैं। उद्धव ठाकरे ने साक्षात्कार में कहा कि एक दिन कोई शिवसैनिक महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनेगा, यह एक वादा है जो मैंने अपने पिता और शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बालासाहेब से किया था। उद्धनव ठाकरे के बेटे आदित्य इस बार मुंबई की  वरली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। यह पहला मौका है जब ठाकरे परिवार का कोई सदस्य चुनाव में उतरा है। यह पार्टी के लिये भी इस बात की परीक्षा होगी कि वह जनता का मन जीतने के लिये पार्टी के युवा नेतृत्व की लोकप्रियता पर भरोसा कर सकती है या नहीं। उन्होंने कहा, “आदित्य के विधानसभा चुनाव लड़ने का यह मतलब नहीं है कि मैं सक्रिय राजनीति से संन्यास ले रहा हूं। मैं यहीं हूं।” उद्धव ठाकरे ने राकांपा नेता अजित पवार के परोक्ष संदर्भ में व्यंग्यात्मक रूप से कहा, “मैं खेती करने नहीं जा रहा।” गौरतलब है कि पवार ने हाल ही में विधायक पद से इस्तीफा दिया था और अपने बेटे को सलाह दी थी कि वह राजनीति की जगह खेती करे या कोई कारोबार कर ले। उन्होंने यह भी दावा किया कि 2014 में जब विधानसभा चुनावों से पहले शिवसेना ने भाजपा से साथ तोड़ा था तब उनकी पार्टी ‘मोदी लहर’ पर लगाम लगाने में कामयाब रही थी। जबकि पूरे देश में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया था। उन्होंने कहा, “ उस वक्त भाजपा-शिवसेना गठबंधन टूटने के पीछे के कारणों पर चर्चा का कोई मतलब नहीं है। यह एक जंग थी। राष्ट्रीय स्तर पर एक ‘लहर’ थी, लेकिन महाराष्ट्र में हमने उस पर लगाम लगाई।” उद्धव ने कहा, “सत्ता में रहने के बावजूद, हमने हमेशा आम आदमी के मुद्दों को लेकर आवाज उठाई।”


 

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