4 साल के बच्चे को जेल में बंद मां से मिलवाने एडीजे ने रात में खोला कोर्ट

4 साल के बच्चे को जेल में बंद मां से मिलवाने एडीजे ने रात में खोला कोर्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2020-01-30 09:31 GMT
4 साल के बच्चे को जेल में बंद मां से मिलवाने एडीजे ने रात में खोला कोर्ट

मुलाकात का समय हो गया था खत्म, बच्चा रो रहा था तो सागर जेल के अफसरों ने मांगी कोर्ट से विशेष अनुमति
डिजिटल डेस्क सागर।
जेल जेल में बंद मां के लिए बिलख रहे 4 साल के एक बच्चे को उसकी मां से मिलवाने के लिए बुधवार रात अतिरिक्त जिला न्यायालय (विशेष) को खोला गया। जिला न्यायालय परिसर में चार साल का एक बच्चा जारौन अली, अपने चाचा के साथ भटक रहा था।
 वह लगातार रोए जा रहा था। इसी दौरान दैनिक भास्कर संवाददाता की नजर उस पर पड़ी। पूछने पर इस बच्चे के साथ मौजूद युवक ने अपना नाम रहमान अली निवासी नादिरा बस स्टैंड भोपाल बताया। उसने बताया कि सागर निवासी एक नाबालिग लड़की से जुड़े आपराधिक मामले में मेरे बड़े भाई शहजान अली, भाभी आफरीन और मां नगमा को गोपालगंज पुलिस ने आरोपी बनाया है। ये सभी केंद्रीय जेल सागर में बंद हैं। मैं, इन सभी की जमानत के लिए कोर्ट में घूम रहा हूं। अब यह बच्चा अपनी मां (आफरीन) से मिलने के लिए तड़प रहा है। इस पर इस प्रतिनिधि ने केंद्रीय जेल के अफसरों को वस्तुस्थिति बताई और उन्हें लेकर जेल परिसर पहुंचा। 
- संतोषसिंह सोलंकी, सुपरिंटेंडेंट केंद्रीय जेल, सागर अफसरों के आवेदन के बाद कोर्ट पहुंचे जज, दी अनुमति
जेलर नागेंद्रसिंह चौधरी ने जेल सुपरिंटेंडेंट संतोषसिंह सोलंकी को पूरे घटनाक्रम से वाकिफ कराया। जवाब में सोलंकी ने नियमों की बात कही। उन्होंने कहा कि अब तो मुलाकात का भी समय नहीं बचा। उन्होंने रहमान को सुबह आने की बात कही। इसी दौरान यह मासूम बुरी तरह बिलख-बिलखकर रोने लगा। वह जेल परिसर से बाहर जाने को तैयार ही नहीं था। हालात देख सुपरिंटेंडेंट सोलंकी ने विशेष न्यायाधीश एडीजे डीके नागले को घटना बताई। इसके बाद उन्होंने इस बच्चे की मां की तरफ से एक लिखित आवेदन कोर्ट में पेश करने की बात कही।  न्यायाधीश भी रात करीब 8:30 जिला न्यायालय पहुंच गए। यहां से जेलर चौधरी, मां आफरीन व सुपरिंटेंडेंट सोलंकी की तरफ से लिखी चिट्?ठी लेकर कोर्ट में हाजिर हो गए। जज नागले ने विचारण के बाद जारौन को जेल में दाखिल करने की अनुमति दे दी। 
मां-बेटे को मिलाकर सुकून मिला
ट्टमेरे कॅरियर में ये पहला ऐसा मामला हैं, जिसमें मैंने कोर्ट खुलवाने के लिए आवेदन किया। हालांकि इस मासूम की हालत देख कोई भी व्यक्ति यह पहल करने से नहीं रुकता। न्यायालय ने अपनी सर्वोच्च कर्तव्यनिष्ठा का प्रदर्शन किया और एक रोता-बिलखता मासूम अपनी मां से मिल गया। मुझे आत्मिक सुकून मिला है।

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