सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण की सुनवाई : तकनीकी कारण से सुनवाई के लिए मौजूद नहीं रह सके वकील - चव्हाण

सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण की सुनवाई : तकनीकी कारण से सुनवाई के लिए मौजूद नहीं रह सके वकील - चव्हाण

Tejinder Singh
Update: 2020-10-27 12:54 GMT
सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण की सुनवाई : तकनीकी कारण से सुनवाई के लिए मौजूद नहीं रह सके वकील - चव्हाण

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण पर सुनवाई चार सप्ताह के लिए टलने पर मराठा आरक्षण को लेकर गठित मंत्रीमंडल उप समिति के अध्यक्ष व राज्य के पीडब्लूडीमंत्री अशोक चव्हाण ने सफाई दी है। चव्हाण ने कहा कि तकनीकी कारणों से राज्य सरकार के वकील सुनवाई के लिए हाजिर नहीं हो सके। दूसरी ओर भाजपा ने मराठा आरक्षण को लेकर राज्य सरकार पर हमला बोला है। चव्हाण ने कहा कि राज्य सरकार चाहती है कि मामले की सुनवाई एक संवैधानिक पीठ के माध्यम से की जाए। उन्होंने कहा महाराष्ट्र सरकार ने मामले को संवैधानिक पीठ में भेजने के लिए याचिका दी थी, जिसे अदालत ने विचार के लिए अपने पास रख लिया है। चव्हाण ने कहा कि संवैधानिक पीठ की स्थापना के लिए हमने बीते 7 अक्टूबर को लिखित मांग की है। उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण पर फिलहाल स्थगन लगा है। अभी इस पर सुनवाई होनी है। हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट अंतरिम स्टे हटाए, जिससे एडमिशन के मामले निपट सके।    

मराठा आरक्षण नहीं देना चाहती महा आघाडी सरकारः पाटील

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने कहा है कि ऐसा लग रहा है कि राज्य की शिवसेना, राकांपा व कांग्रेस सरकार मराठा आरक्षण देना ही नहीं चाहती। यह सरकार मराठा आरक्षण को लेकर गंभीर नहीं है। यह बात आज सुप्रीम कोर्ट में साबित हो गई। राज्य सरकार की इस भूमिका से केवल मराठा समाज प्रभावित नहीं होगा बल्कि पुरे राज्य को परेशानी होगी। कोल्हापुर में पत्रकारों से बातचीत में पाटील ने कहा कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण पर सुनवाई थी। लेकिन सरकार के वकील समय पर कोर्ट में हाजिर नहीं हुए। इस पर अदालत ने नाराजगी भी जताई। यह चिंताजनक बात है।

मराठा आरक्षण को लेकर अनिश्चितता के चलते पूरे महाराष्ट्र में भी अनिश्चितता का माहौल है। 11वीं कक्षा और मेडिकल में प्रवेश प्रक्रिया भी रुकी हुई है। एमपीएससी परीक्षा भी टालना पड़ा है। भाजपा नेता ने कहा कि हम इस सरकार से कहना चाहते हैं कि इस मामले के जानकारों से चर्चा कर मराठा आरक्षण की दिशा तय करे। पाटील ने कहा कि भाजपा सरकार ने मराठा आरक्षण दिया था जिसे हाईकोर्ट ने सही माना। बाद में इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। वहां भी हम एक साल तक इस मामले में लड़े और इस बात का ख्याल रखा कि मराठा आरक्षण पर स्टे न लग सके। लेकिन महा आघाडी सरकार इस मामले में फेल साबित हुई।  

 
 

Tags:    

Similar News