आलोचना के बाद अजित पवार ने दिया शासनादेश रद्द करने का निर्देश, फिजूल खर्ची को लेकर विपक्ष ने साधा निशाना 

आलोचना के बाद अजित पवार ने दिया शासनादेश रद्द करने का निर्देश, फिजूल खर्ची को लेकर विपक्ष ने साधा निशाना 

Tejinder Singh
Update: 2021-05-13 12:43 GMT
आलोचना के बाद अजित पवार ने दिया शासनादेश रद्द करने का निर्देश, फिजूल खर्ची को लेकर विपक्ष ने साधा निशाना 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपने प्रचार-प्रसार के लिए 5 करोड़ 98 लाख 2 हजार 400 रुपए खर्च कर सोशल मीडिया के लिए  एजेंसी नियुक्त करने के फैसले पर तीखी आलोचना के बाद कदम पीछे खींच लिए हैं। अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री कार्यालय के लिए बाहरी एजेंसी नियुक्त करनेके लिए राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी शासनादेश को रद्द करने के निर्देश दिए हैं। गुरुवार को अजित पवार ने कहा कि उपमुख्यमंत्री कार्यालय के सोशल मीडिया खाते संभालने के लिए पीआर एजेंसी नियुक्त करने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। इससे संबंधी शासनादेश को तत्काल रद्द किया जाए। अजित पवार ने कहा कि उपमुख्यमंत्री कार्यालय को सोशल मीडिया पर स्वतंत्र रूप से कार्यरत रहने की जरूरत नहीं लग रही है। राज्य के सूचना व जनसंपर्क निदेशालय के माध्यम से सरकारी जनसंपर्क की जिम्मेदारी निभाई जा सकती है। इसलिए उपमुख्यमंत्री कार्यालय को सोशल मीडिया के लिए बाहरी एजेंसी नियुक्त करने का सवाल ही नहीं उठता है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि फिलहाल मौजूद जनसंपर्क व्यवस्था द्वारा आगे भी नागरिकों और मीडिया से संवाद स्थापित किया जाएगा। 

इससे पहले प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता व विधायक राम कदम ने ने कहा कि लोगों की कोरोना की बीमारी से मौत हो रही है। राज्य सरकार के पास कोरोना टीका खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं पर यह सरकार सोशल मीडिया पर प्रचार प्रसार के लिए 6 करोड़ खर्च करने जा रही है। भाजपा विधायक अतुल भातखलकर ने कहा कि इस निर्लज्ज और बेशर्म सरकार को खुद के प्रसार-प्रचार की चिंता ज्यादा है। भातखलकर ने कहा कि सरकारी पैसे से मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री कार्यालय के लिएपीआर एजेंसी नियुक्त करने का फैसला रद्द करना चाहिए। 

इसके जवाब में राकांपा प्रवक्ता तथा प्रदेश के अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक ने उपमुख्यमंत्री का बचाव करते हुए भाजपा पर पलटवार किया। मलिक ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार प्रचार-प्रसार के लिए जितना पैसे खर्च कर रही है उसकी तुलना में उपमुख्यमंत्री कार्यालय के खर्च की राशि बहुत ज्यादा नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा को अपनी सरकार के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और सभी मंत्रियों के प्रचार व प्रसार पर कितने पैसे खर्च हुए हैं उस पर भी ध्यान देना चाहिए। 

हालांकि कोरोना संकट में सरकार आर्थिक संकट से गुजर रही है। इस कारण सोशल मीडिया पर उपमुख्यमंत्री की आलोचना हो रही थी। आखिरकार उपमुख्यमंत्री ने शासनादेश को रद्द करने का आदेश दिया। इससे पहले बुधवार को सामान्य प्रशासन विभाग ने शासनादेश जारी कर उपमुख्यमंत्री कार्यालय के सोशल मीडिया को संभालने के लिए बाहरी एजेंसी नियुक्त करने को मंजूरी दी थी। इस के लिए करीब 6 करोड़ खर्च किए जाने की बात शासनादेश में कगी गई थी। 

 

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