म्हाडा फ्लैट के लिए पत्नी का फर्जी आय  प्रमाणपत्र देने पर रद्द हुआ आवंटन

म्हाडा फ्लैट के लिए पत्नी का फर्जी आय  प्रमाणपत्र देने पर रद्द हुआ आवंटन

Tejinder Singh
Update: 2019-07-21 09:29 GMT
म्हाडा फ्लैट के लिए पत्नी का फर्जी आय  प्रमाणपत्र देने पर रद्द हुआ आवंटन

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने म्हाडा के फ्लैट के लिए पत्नी की आय को लेकर फर्जी प्रमाणपत्र देनेवाले सीबीआई कर्मचारी को फ्लैट के लिए अपात्र ठहराने के निर्णय को सही ठहराया है। न्यायमूर्ति अकिल कुरेशी व न्यायमूर्ति एसजे काथावाला की खंडपीठ ने मामले से जुड़े दस्तावेजों पर गौर करने के बाद कहा कि हमे प्रकरण को लेकर म्हाडा की ओर से लिए गए निर्णय में कोई खामी नजर नहीं आती है। सीबीआई कर्मचारी महेश पाटील ने साल 2006 में म्हाडा के लिए फ्लैट के लिए आवेदन किया था। इस दौरान उन्होंने अपनी पत्नी की आय हर माह सात हजार रुपए दर्शायी थी। याचिका के अनुसार पाटील ने दावा किया था कि उनकी पत्नी खाद्य तेल बनानेवाली हेमराज गंगजी एंड कंपनी की कर्मचारी है। जहां से उसे हर माह सात हजार रुपए मिलते हैं। इस जानकारी के आधार पर म्हाडा ने पाटील को फ्लैट के लिए पात्र माना था लेकिन इस बीच म्हाडा को याचिकाकर्ता की पत्नी के आय प्रमाणपत्र को लेकर शिकायत मिली।

जांच के बाद म्हाडा अधिकारियों ने याचिकाकर्ता की पत्नी के प्रमाणपत्र को गलत पाया। म्हाडा ने जांच के दौरान पाया कि हेमराज एंड कंपनी साल 2005-6 में प्रोफेशनल टैक्स कानून के तहत पंजीकृत नहीं है। वह कारोबार जगत में नियमित नहीं है। उसने अपने कर्मचारियों का रजिस्टर भी मेंनटेन नहीं किया है। साल 2016 में भी कंपनी की आय इतनी नहीं थी वह रिटर्न फाइल करे। इस लिहाज से याचिकाकर्ता की ओर से दिया गया का प्रमाणपत्र सही नहीं पाया गया। याचिकाकर्ता ने अपने परिवार की अधिक आय दर्शाने के लिए पत्नी की आय के संबंध में प्रमाणपत्र दिया था कि जिससे वह म्हाडा के बड़े साईज वाले फ्लैट के लिए पात्र हो सके। वहीं पाटील के वकील ने कहा कि मेरे मुवक्किल ने अपनी पत्नी के नियोक्ता द्वारा प्रमाणित आय प्रमाणपत्र दिया है, जो सही है। 

म्हाडा की तरफ से की गई जांच के दौरान मिले दस्तावेज व मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि म्हाडा ने मामले की गहराई से जांच करने के बाद याचिकाकर्ता को अपात्र ठहराने का निर्णय किया है। इसलिए हमे म्हाडा के निर्णय में कोई खामी नजर नहीं आती। इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है। 
 

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