कोरोना जैसी महामारी आएंगी और चली जाएंगी, स्वस्थ रहने को शाकाहार और साधु-संतों की संयमित जीवन चर्या अपनाएं

कोरोना जैसी महामारी आएंगी और चली जाएंगी, स्वस्थ रहने को शाकाहार और साधु-संतों की संयमित जीवन चर्या अपनाएं

Bhaskar Hindi
Update: 2020-10-31 08:46 GMT
कोरोना जैसी महामारी आएंगी और चली जाएंगी, स्वस्थ रहने को शाकाहार और साधु-संतों की संयमित जीवन चर्या अपनाएं

अपनी 75वीं वर्षगांठ पर भास्कर से आचार्य विद्यासागरजी ने कहा

डिजिटल डेस्क जबलपुर । आचार्य विद्यासागर महाराज का 75वां अवतरण दिवस शनिवार (शरद पूर्णिमा) को मनाया जाएगा। इस अवसर पर केसरबाग रोड स्थित नेमीनाथ जैन मंदिर में भास्कर से विशेष चर्चा में उन्होंने विभिन्न विषयों पर बात की। कोरोना को लेकर उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी महामारी आएंगी और चली जाएंगी। स्वस्थ रहने के लिए शाकाहार और साधु-संतों की संयमित जीवन शैली अपनानी होगी। कोरोना से कई लोगों का रोजगार गया है, सरकार को राजनीति की चिंता छोड़कर भुखमरी और पलायन रोकना चाहिए। गांवों में शहर जैसी सुविधा देंगे तो उन्हें शहर भागने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आचार्य श्री यहां 5 जनवरी को आए थे, दीक्षा के बाद संभवत: इंदौर पहला शहर बन गया है, जिसे उनका इतना लंबा सान्निध्य मिला है। उनके 75वें जन्मदिवस ने इसे और खास बना दिया है। 
बातचीत के प्रमुख अंश 
ऑनलाइन शिक्षा : यह भारतीय परंपरा नहीं है। जब तक विद्यार्थी शिक्षक के सामने नहीं होगा, उसके भाव पढऩे के नहीं बनेंगे। ये व्यवस्था अल्प समय की है।
रोजगार का संकट : व्यावसायिक लोगों को मशीनरी का उपयोग न कर गरीब जनता को काम देना चाहिए। कोरोना के कारण जो क्षति हुई उसकी पूर्ति हो जाएगी। 
राजनीति : राजनीति और धर्म नीति अलग-अलग है। धर्मनीति में इंसान और ईमान बराबर होते हैं। राजनीति में अलग-अलग। 
पड़ोसी देशों का बढ़ता दबाव : भारत में शाकाहार का प्रचलन ज्यादा है इसलिए हर मसले पर सोच-समझकर, शांतिपूर्वक निर्णय करते हैं। कोई भी देश भारत का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। हमारे पास अहिंसा की शक्ति है।
आत्मोन्नति: साईबान के लिए करते हैं प्रेरित  
आचार्य कहते हैं कि पैरों का मर्दन, आंखों का बंधन, मन-मस्तिष्क को चिंतन ये आत्मा के विकास के मार्ग हैं। आसन और अशन (आहार) की शुद्धि ध्यान की ओर प्रवृत्त करती है। वे लोगों की तरफ बहुत कम दृष्टि करते हैं। गांधारी का उदाहरण देते हैं। शिष्यों को साईबान के लिए प्रेरित करते हैं। साईबान घोड़ों की आंख पर बांधे जाने वाली पट्?टी को कहते हैं, जिससे वह एक ही दिशा में देखता है।
 

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