तेलंगाना सीमा व जंगल से सटे क्षेत्र में मिली प्राचीन बुद्ध प्रतिमा ,देखने उमड़ी लोगों की भीड़

तेलंगाना सीमा व जंगल से सटे क्षेत्र में मिली प्राचीन बुद्ध प्रतिमा ,देखने उमड़ी लोगों की भीड़

Anita Peddulwar
Update: 2019-09-27 07:13 GMT
तेलंगाना सीमा व जंगल से सटे क्षेत्र में मिली प्राचीन बुद्ध प्रतिमा ,देखने उमड़ी लोगों की भीड़

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। तेलंगाना सीमा से सटे चंद्रपुर जिले की राजुरा तहसील के ग्राम लक्कडकोट के पास खिर्डी गांव परिसर में  एक बुद्ध प्रतिमा पायी गयी। करीब ढाई फीट ऊंची व 1 फीट चौड़ी यह प्रतिमा पत्थर पर उकेरी हुई है, जो हरे रंग की है। परिसर में प्राचीन बुद्ध प्रतिमा मिलने की खबर फैलते ही लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस समय राजुरा पुलिस थाने के अधिकारियों ने इस स्थान को भेंट देकर नागरिकों से पूछताछ की। मात्र अभी तक इस संबंध में किसी प्रकार की अधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं हुई है।

जानकारी के अनुसार चंद्रपुर से प्राचीन पुरातत्व विभाग तथा इतिहास के जानकारों की एक टीम यहां भेंट देकर इसकी पड़ताल करेगी। उसके बाद ही इस संबंध में अधिकारिक रूप से जानकारी मिल पाएगी। इस प्रतिमा के वजन तथा इसका संबंध किस प्राचीन काल से है? यह वाकई प्राचीन प्रतिमा है या नहीं? जैसे कई सवालों की पुष्टि हो सकेगी। इस बीच मौके पर प्रत्यक्ष मौजूद समाजसेवी जय खोब्रागड़े ने बताया कि लक्कडकोट से तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित खिर्डी गांव में किसी गड्ढे में यह प्रतिमा होने की जानकारी परिसर के नागरिकों ने फोन पर दी। इस आधार पर वे वहां पहुंचे। उस समय उन्हें यह मूर्ति दिखाई दी। उन्होंने कहा कि यह परिसर जंंगलव्याप्त है। यहां जंगली सुअरों का उत्पात है। जिस जगह पर यह मूर्ति पायी गयी, वह संभवत: जंगली सुअरों ने ही उकेरी थी, जिससे वह गड्ढा बन गया था, जहां मूर्ति पायी गई। 

जांच के बिना बता  पाना मुश्किल

भगवान बुध्द की मूर्तियां हर काल में अलग-अलग बनी हैं। पायी गयी मूर्ति नि:संदेह बुध्द मूर्ति ही है। इसे प्राचीन कह सकते हैं, परंतु इसका समय काल तस्वीर देख कर बता पाना मुश्किल है।  -अशोकसिंह ठाकुर, इतिहास के जानकार, चंद्रपुर 

तीन दशकों से खाली पड़ी जगह पर दिखी मूर्ति

जिस जगह पर यह प्रतिमा मिली, वह जगह निजी मालकियत की है। बीते तीन दशकों से यह खाली पड़ी हुई है। ऐसे में यहां प्रतिमा मिलने की जानकारी पर हम वहां पहुंचे। फिलहाल इस प्रतिमा की कोई जांच नहीं हुई है।  इसका आधिकारिक अवलोकन होगा। -जय खोब्रागडे, अध्यक्ष नागवंशी यूथ फोर्स, राजुरा

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