सबूतों के आधार पर भीमा-कोरेगांव मामले में हुई थी गिरफ्तारीः केसरकर

सबूतों के आधार पर भीमा-कोरेगांव मामले में हुई थी गिरफ्तारीः केसरकर

Tejinder Singh
Update: 2020-01-24 16:34 GMT
सबूतों के आधार पर भीमा-कोरेगांव मामले में हुई थी गिरफ्तारीः केसरकर

डिजिटल डेस्क, मुंबई। भीमा-कोरेगांव हिंसा के लिए वामपंथी विचारधारा से जुड़े लोगों को सबूतों के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों से जुड़े सबूत कमीशन और अदालत के सामने रखे गए थे। इससे जुड़े सबूत मैंने खुद भी देखे हैं। पूर्व गृहराज्य मंत्री और शिवसेना विधायक दीपक केसरकर ने मीडिया से बातचीत में यह दावा किया है। गौरतलब है कि राकांपा प्रमुख शरद पवार ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर इस बात की आशंका जताई थी कि यलगार परिषद और वामपंथी बुद्धिजीवियों को भाजपा के दबाव में पुलिस ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में फंसाया है। पवार ने मामले की छानबीन के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की भी मांग की थी। इसके बाद गृहमंत्री अनिल देशमुख ने 15 दिनों के भीतर एसआईटी गठित करने की बात कही है।  

ठाकरे सरकार की एसआईटी जांच पर बोले पूर्व गृहराज्यमंत्री 

शिवसेना विधायक केसरकर ने कहा कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग बनाया गया है। उसके सामने सारे सबूत रखे गए हैं। इसके अलावा जिन अदालतों में मामले की सुनवाई चल रही है वहां भी आरोपियों के खिलाफ सबूत पेश किए गए हैं। ऐसे में यह कहना कि बिना किसी सबूत के कार्रवाई हुई है ठीक नहीं होगा। अब न्यायिक आयोग इस मामले की छानबीन कर रहा है तो उसकी रिपोर्ट आने के बाद यह साफ हो जाएगा कि मामले में हिंसा के लिए कौन जिम्मेदार था। 

मीडिया से बातचीत में केसरकर ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूतों के आधार पर ही इस मामले में कार्रवाई की गई है। बता दें कि पवार की चिट्ठी के बाद 23 जनवरी को गृह मंत्रालय ने इस मुद्दे पर गृहमंत्री अनिल देशमुख, गृहराज्य मंत्री सतेज पाटील और शंभूराजे देसाई की मौजूदगी में एक समीक्षा बैठक की थी। इस बारे में विभाग जल्द ही एक और समीक्षा बैठक कर सकता है। पवार ने अपनी चिठ्ठी में दावा किया था कि उन्हें शिकायत मिली है कि पुलिस ने कंप्यूटर से छेड़छाड़ कर फर्जी सबूत तैयार किए। इसके अलावा हिंसा के मुख्य सूत्रधारों को इस मामले में बचा लिया गया और बुद्धिजीवियों को फंसा दिया गया। 


 

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