महाराष्ट्र में 10.5 प्रतिशत दलित मतदाता, सियासी दलों की चुनावी रणनीति के केंद्र में बहुजन

महाराष्ट्र में 10.5 प्रतिशत दलित मतदाता, सियासी दलों की चुनावी रणनीति के केंद्र में बहुजन

Tejinder Singh
Update: 2018-12-23 09:56 GMT
महाराष्ट्र में 10.5 प्रतिशत दलित मतदाता, सियासी दलों की चुनावी रणनीति के केंद्र में बहुजन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। चुनाव तैयारी में जुट रहे राजनीतिक दलों की रणनीति के केंद्र में बहुजन समाज दिखाई देने लगा है। विशेषकर विदर्भ में दलित, मुस्लिम, आदिवासी व अन्य पिछड़े तबके के मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया जाने लगा है। रविवार को मानकापुर खेल स्टेडियम में होने वाले बहुजन विचार मंच के सम्मेलन को भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। आयोजक के तौर पर भले ही बहुजन विचार मंच सामने हैं, लेकिन भीतर से कांग्रेस के कुछ नेता शक्ति प्रदर्शन का प्रयास कर रहे हैं। सभा में कांग्रेस की ओर से पार्टी के एससी सेल के अध्यक्ष नितीन राऊत, राकांपा नेता सुप्रिया सुले, जेएनयू छात्र कन्हैयाकुमार प्रमुखता से उपस्थित रहेंगे। उधर, भाजपा ने भी यहां दलित बहुजन समाज को जोड़ने की राजनीति का गुणाभाग किया है। 19 व 20 जनवरी 2019 को भाजपा एससी सेल का अधिवेशन यहां होनेवाला है। अधिवेशन में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह सहित 5000 से अधिक पदाधिकारी देश भर से यहां आएंगे।

आंबेडकर जन्म शताब्दी समारोह का समापन कार्यक्रम
हाल ही में बाबासाहब आंबेडकर के पौत्र व वंचित बहुजन आघाड़ी के सूत्रधार प्रकाश आंबेडकर ने शहर में बड़ी जनसभा ली। उसमें पूर्व विदर्भ से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भले ही सभा में नहीं पहुंच पाए, लेकिन उनके समर्थकों ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर बहुजन राजनीति को ताकत देने का नारा लगाया। इससे पहले कांग्रेस ने नागपुर में ही बड़ी सभा ली थी। आंबेडकर जन्म शताब्दी समारोह का समापन कार्यक्रम आयोजित किया गया। सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मनमोहन सिंह सहित पूरी कांग्रेस शहर में थी। उसके बाद मानकापुर खेल स्टेडियम में भाजपा की ओर से बड़ा कार्यक्रम रखा गया। भीम एप का विधिवत उद्घाटन किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उस कार्यक्रम में शामिल हुए। भाजपा के अंत्योदय अभियान में भी दलित बहुजन समाज के विकास की बात प्रमुखता से कही जा रही है। शरद पवार के नेतृत्व में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने भी दलित बहुजन राजनीति पर पूरा फोकस रखा है। 

इसलिए नजर इधर
गौरतलब है कि राज्य में 10.5 प्रतिशत दलित मतदाता हैं। विदर्भ में तो उनकी संख्या 23 प्रतिशत से अधिक है। यहां 66 विधानसभा क्षेत्र व 10 लोकसभा क्षेत्र है। सभी विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 15 हजार दलित मतदाता हैं। राज्य में 48 में से 15 लोकसभा क्षेत्र में दलित मतदाता चुनाव में निर्णायक की भूमिका निभाते हैं। विदर्भ में अमरावती, रामटेक व बुलढाणा लोकसभा क्षेत्र एससी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। पिछले कुछ समय से राष्ट्रीय स्तर पर दलित मुस्लिम का मुद्दा प्रमुखता से प्रभावी माना जा रहा है। विदर्भ में इन दोनों वर्ग व समाज की संख्या चुनाव परिणाम को प्रभावित करने वाली मानी जाती है। 

बसपा व आरपीआई का भी ध्यान
बसपा व आरपीआई के विविध गुटों का भी विदर्भ में विशेष ध्यान है। पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य में साढ़े 4 प्रतिशत मत पाने का दावा कर रही बसपा भले ही अब तक लोकसभा या विधानसभा चुनाव में जीत नहीं पाई है, लेकिन स्थानीय निकाय संस्थाओं के चुनाव में वह जीतती रही है। नागपुर सहित अन्य जिलों में बसपा के नगरसेवक हैं। लिहाजा दो दिन पहले ही बसपा की पूर्व विदर्भ स्तरीय बैठक नागपुर में हुई थी, उसमें चुनावी रणनीति पर पर चर्चा की गई। आरपीआई के विविध गुटों के नेता जोगेंद्र कवाडे, सुलेखा कुंभारे, राजेंद्र गवई भी सक्रिय हुए हैं। 

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