असिस्टेंट प्रोफेसर्स की संशोधित चयन सूची पर रोक - राज्य सरकार और एमपी पीएससी से जवाब-तलब

असिस्टेंट प्रोफेसर्स की संशोधित चयन सूची पर रोक - राज्य सरकार और एमपी पीएससी से जवाब-तलब

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Update: 2019-09-14 07:51 GMT
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डिजिटल डेस्क जबलपुर। हाईकोर्ट ने एमपी पीएससी द्वारा जारी की गई असिस्टेंट प्रोफेसर्स की संशोधित चयन सूची पर रोक लगा दी है। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा और जस्टिस विशाल धगट की युगल पीठ ने राज्य सरकार और एमपी पीएससी को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है। 
संशोधित सूची में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया 
संजीवनी नगर जबलपुर निवासी डॉ. ज्योति चौबे और टीकमगढ़ निवासी पिंकी असाटी की ओर से अलग-अलग याचिकाएं दायर कर कहा गया कि एमपी पीएससी ने असिस्टेंट प्रोफेसर्स के पद में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण दिया था। इनमें से 12 पद सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए थे। एमपी पीएससी द्वारा जारी पहली चयन सूची में सामान्य वर्ग की 12 महिलाओं में से 10 ओबीसी वर्ग की महिलाओं का चयन कर लिया गया था। हाईकोर्ट ने 26 जून 2019 को आदेश जारी कर एमपी पीएससी को संशोधित सूची जारी करने का आदेश दिया था। एमपी पीएससी ने 4 सितंबर 2019 को संशोधित सूची जारी की, लेकिन संशोधित सूची में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया गया। अधिवक्ता शैलेश तिवारी और सपना मिश्रा ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी डॉ. ज्योति चौबे की जगह ओबीसी वर्ग की महिला महजबीन अंसारी का नाम शामिल कर लिया गया। अधिवक्ता सुशय मोहन गुरु ने तर्क दिया कि सामान्य वर्ग की उम्मीदवार पिंकी असाटी की जगह ओबीसी महिला का चयन किया गया है। सुनवाई के बाद युगल पीठ ने असिस्टेंट प्रोफेसर्स की संशोधित चयन सूची पर रोक लगाते हुए अनावेदकों से दो सप्ताह में जवाब-तलब किया है।

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