इंटरनेट बैंकिंग में हुई थी धोखाधड़ी, खाताधारक को 3 लाख 44 हजार वापस करने के बैंक को आदेश

इंटरनेट बैंकिंग में हुई थी धोखाधड़ी, खाताधारक को 3 लाख 44 हजार वापस करने के बैंक को आदेश

Anita Peddulwar
Update: 2018-08-11 12:03 GMT
इंटरनेट बैंकिंग में हुई थी धोखाधड़ी, खाताधारक को 3 लाख 44 हजार वापस करने के बैंक को आदेश

डिजिटल डेस्क, मुंबई। इंटरनेट बैंकिंग के जरिए होने वाले संदिग्ध लेन देन पर नजर रखना व खाताधारकों को सायबर हमले से बचाना बैंक की जिम्मेदारी है। क्योंकि इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा के लिए बैंक शुल्क वसूलता है। यह बात कहते हुए दक्षिण मुंबई जिला उपभोक्ता मंच ने एक महिला को राहत प्रदान की है। मंच ने बैंक को सेवा की कमी का दोषी ठहराते हुए इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से धोखाधड़ी के जरिए किसी और के द्वारा निकाली गई 3 लाख 44 हजार रुपए की रकम उसके खाते में 6 प्रतिशत ब्याज के साथ जमा करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही मंच ने कहा है कि बैंक महिला को मानसिक यातना के लिए 15 हजार रुपए जबकि दस हजार रुपए कानूनी खर्च के लिए प्रदान करे। 

गलत ट्रांजक्शन की बैंक को दी थी जानकारी
महिला का खाता महानगर की पेडर रोड स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में था। उपभोक्ता मंच के सामने की गई शिकायत में महिला ने दावा किया था कि 23 व 24 नवंबर 2010 को उसके खाते से चार लाख 90 हजार रुपए निकाले गए हैं। यह रकम 16 अलग-अलग लोगों के खाते में ट्रांसफर किए गए हैं। इस बारे में महिला को तब पता चला था जब वह इंटरनेट बैंकिग के जरिए अपने खाते का मूल्यांकन कर रही थी औैर यह देख रही थी कि उसका वेतन खाते में जमा हुआ है कि नहीं। खाते में हुए गलत ट्रांजक्शन की जानकारी महिला ने बैंक को दी और पुलिस में भी इसकी शिकायत की।  

बैंक ने मंच के सामने अपने जवाब में कहा कि इंटरनेट बैंकिग के लिए लॉग इन आईडी, पासवार्ड व मोबाइल नंबर की जरुरत पड़ती है। महिला के खाते से लेन-देने के समय ये तीनों चीजें वैध पायी गई हैं। इसके अलावा अपने लॉग इन आईडी की गोपनीयता बरकरार रखना खाता धारक की जिम्मेदारी है। इसमें बैंक का कोई दोष नहीं है। इसलिए शिकायत को खारिज किया जाए। पर महिला ने मंच के सामने फर्जी तरीके से किए गए ट्रांजक्शन को लेकर प्रमाण दिए। जिन पर गौर करने के बाद मंच ने कहा कि आपराधिक मामला प्रलंबित होने के चलते बैंक ने एक लाख 45 हजार रुपए के संबंध में निर्णय नहीं लिया है, लेकिन शेष तीन लाख 44 हजार रुपए बैंक महिला के खाते में जमा करे।

मंच ने कहा कि बैंक को इस तरह के मामले में सक्रियता दिखाते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। ऐसा नहीं हुआ जिसके चलते महिला को काफी दिक्कत हुई। यह बैंक की सेवा की कमी को दर्शाता है। यह बात कहते हुए मंच की अध्यक्ष स्नेहा म्हात्रे की पीठ ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाया। 

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