भीमा कोरेगांव हिंसा : नवलखा को मिली राहत, नहीं मिला कोई सबूत

भीमा कोरेगांव हिंसा : नवलखा को मिली राहत, नहीं मिला कोई सबूत

Tejinder Singh
Update: 2019-06-12 13:27 GMT
भीमा कोरेगांव हिंसा : नवलखा को मिली राहत, नहीं मिला कोई सबूत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। भीमा कोरेगांव हिंसा मामले व माओवादियों से कथित संबंधों के मामले में आरोपी समाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई सबूत नजर नहीं आ रहा है। बुधवार को बांबे हाईकोर्ट ने यह मत व्यक्त करते हुए नवलखा को गिरफ्तारी से मिली राहत को 18 जून तक बढा दिया है। हाईकोर्ट में नवलखा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में नवलखा ने खुद के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द करने की मांग की है। पुणे पुलिस ने नवलखा के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया है। 

न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई व प्रकरण से जुड़े दस्तावेजों को देखने के बाद कहा कि प्रथम दृष्टया हमे नवलखा की संलिप्तता को दर्शानेवाला कोई सबूत नजर नहीं आ रहा है। इस दौरान खंडपीठ ने उन पत्रों पर भी गौर किया जिन्हें नवलखा ने माओवादी नेताओं को लिखे थे और जो पत्र नवलखा के नाम पर आए थे। 

इससे पहले अतिरिक्त सरकारी वकील अरुणा पई ने कहा कि हमारे पास नवलखा के खिलाफ कई सबूत हैं। हमने कई दस्तावेज आरोपी के लैपटाप व अन्य आरोपियों के पास से बरामद किए हैं। इस दौरान उन्होंने नवलखा की ओर से माओवादी नेताओं को लिखे गए पत्र की प्रति खंडपीठ के सामने पेश की। उन्होंने कहा कि फिलहाल मामले की जांच से जुड़े अधिकारी अदालत में मौजूद नहीं हैं। इसलिए उन्हें निर्देश लेने के लिए वक्त दिया जाए।

वहीं नवलखा की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता युग चौधरी ने कहा कि पुलिस ने मेरे मुवक्किल के घर से जो दस्तावेज बरामद किए हैं वह भी उन्हें दिखाने से इंकार कर रही है। जिसे उचित नहीं माना जा सकता है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई को 18 जून तक के लिए स्थगित कर दी। 

 

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