भाजपा नेता खडसे ने फिर सरकार को घेरा, कहा - पांच साल में कुपोषण से सबसे ज्यादा मौतें

भाजपा नेता खडसे ने फिर सरकार को घेरा, कहा - पांच साल में कुपोषण से सबसे ज्यादा मौतें

Tejinder Singh
Update: 2019-06-19 14:16 GMT
भाजपा नेता खडसे ने फिर सरकार को घेरा, कहा - पांच साल में कुपोषण से सबसे ज्यादा मौतें

डिजिटल डेस्क, मुंबई वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे ने एक बार फिर अपनी ही सरकार के मंत्रियों को सौरपंप, कुपोषण और विद्यार्थियों को जाति प्रमाण पत्र मिलने में देरी के मुद्दे पर तीखे सवालों से घेरा। खडसे ने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि पिछले पांच सालों में कुपोषण से राज्य में सबसे ज्यादा बच्चों की मौत हुई है। खडसे ने कहा कि सरकार लिए गए फैसलों पर अमल तक नहीं कर पा रही है।

खडसे ने आश्रमशालाओं के चौकीदारों को सिर्फ पांच हजार रुपए महीने के कांट्रैक्ट पर 24 घंटे ड्यूटी कराने का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि चौकीदारों का वेतन बढ़ाने का फैसला लिया जा चुका है लेकिन उस पर अमल नहीं हो रहा है। खडसे ने कहा कि तत्कालीन आदिवासी विकास मंत्री और उनके सचिव के साथ उनकी बैठक हुई थी जिसमें उनकी कई मांगे मानी गई थी। लेकिन मानी गई मांगों का प्रिंट उपलब्ध न होने के चलते उस पर अमल नहीं हो रहा है।

नवनियुक्त आदिवासी विकास मंत्री अशोक उईके को घेरते हुए खडसे ने सवाल किया कि सरकारी आश्रमशाला के विद्यार्थियों  को जो सामान और मिलते हैं वहीं अनुदानित आश्रमशालाओं के बच्चों देने का फैसला हो चुका है लेकिन उस पर भी अमल नहीं हो रहा है। इसके अलावा खडसे ने शिक्षामंत्री आशीष शेलार को भी घेरा। खडसे ने कहा कि दाखिले के लिए लाखों विद्यार्थियों को जाति और दूसरे प्रमाणपत्रों की जरूरत होती है। लेकिन सरकारी ऑफिस में जाने पर अक्सर सर्वर डाउन होने की बात कही जाती है।

ऐसे में लाखों विद्यार्थी दाखिले से वंचित हो सकते हैं इसका जिम्मेदार कौन होगा। इसके बाद मंत्री शेलार ने आश्वासन दिया कि वे खुद संबंधित विभागों के साथ बैठक करेंगे और विद्यार्थियों को किसी तरह की परेशानी या नुकसान न हो इसके लिए जरूरी कदम उठाएंगे। बता दें कि फडणवीस सरकार बनने के बाद एकनाथ खडसे को राजस्व, कृषि, पशुसंवर्धन, अल्पसंख्यक विकास जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन भ्रष्टाचार और जमीन घोटाले के आरोप लगने के बाद उन्होंने जून 2016 में मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया था। खडसे को उम्मीद थी कि वे एक बार फिर मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं लेकिन हालिया विस्तार में उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। इसके बाद वे सरकार के खिलाफ और हमलावर नजर आ रहे हैं।

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