भाजपा के दिग्गजों को नहीं मिली उम्मीदवारी, बावनकुले को उम्मीद, खडसे बोले - मोदी गो बैक नारा लगाने वाले को मिला टिकट

भाजपा के दिग्गजों को नहीं मिली उम्मीदवारी, बावनकुले को उम्मीद, खडसे बोले - मोदी गो बैक नारा लगाने वाले को मिला टिकट

Tejinder Singh
Update: 2020-05-08 16:09 GMT
भाजपा के दिग्गजों को नहीं मिली उम्मीदवारी, बावनकुले को उम्मीद, खडसे बोले - मोदी गो बैक नारा लगाने वाले को मिला टिकट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में टिकट पाने की भाजपा के दिग्गज नेताओं और पूर्व मंत्रियों की सारी उम्मीदें धरी की धरी रह गई। भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे, पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे, पूर्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, पूर्व मंत्री विनोद तावडे जैसे नेताओं के दावेदारी को पार्टी ने दरकिनार कर दिया। इस बार भी उम्मीदवारों के चयन में पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की चली है। इससे समझा जा रहा है कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने में असफल रहने के बावजूद दिल्ली दरबार में उनका जलवा कायम है। भाजपा ने निष्ठावान नेताओं के बजाय विधान परिषद टिकट के लिए दूसरे दलों से आए नेताओं पर मेहरबानी दिखाई है। ऐसी स्थिति में अब भाजपा के इन दिग्गज नेताओं को विधायक बनने के लिए लगभग दो साल का इंतजार करना पड़ सकता है। महाराष्ट्र विधानमंडल के सचिवालय से मिली जानकारी के अनुसार विधान परिषद में जून और जुलाई 2020 में 16 सीटें रिक्त होंगी जबकि एक सीट अभी भी रिक्त है। इसको मिलाकर कुल 17 सीटें रिक्त होंगी। लेकिन इसमें से फिलहाल भाजपा के पास केवल 2 सीटें हैं। विधान परिषद में राज्यपाल द्वारा नामित किए जाने वाले सदस्यों की 12 सीटें, स्नातक निर्वाचन क्षेत्र द्वारा निर्वाचित 3 और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र द्वारा चुनी जाने वाले 2 सीटें रिक्त होंगी। राज्यपाल कोटे की 12 सीटों के लिए सत्ताधारी दल की तरफ से उम्मीदवारों के नामों की सिफारिश राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी से की जाएगी। जबकि पुणे और अमरावती विभाग की शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की दो सीटें रिक्त होंगी। यह दोनों सीटें फिलहाल निर्दलीय विधायकों के कब्जे में हैं। वहीं स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की 3 सीटें रिक्त होंगी। इसमें औरंगाबाद, पुणे और नागपुर विभाग के स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की सीटों का समावेश है। फिलहाल इसमें एक सीट राकांपा और दो सीटें भाजपा के पास है। जिसमें से पुणे स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की सीट अभी भी रिक्त चल रही थी। विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार चंद्रकांत पाटील के जीतने के बाद विधान परिषद की इस सीट से इस्तीफा दे दिया था उसके बाद से ही यह सीट रिक्त है। विधान परिषद की रिक्त होने वाली 17 सीटों में से भाजपा के पास अभी केवल 2 सीटें ही हैं। इसके बाद सीधे साल 2022 में विधान परिषद की 25 सीटों पर चुनाव होंगे। इसमें 15 सीटें स्थानीय प्राधिकारी संस्था द्वारा निर्वाचित और 10 सीटें विधानसभा सदस्यों द्वारा चुनी जाने वाली हैं। इसमें से भाजपा के पास फिलहाल 9 सीटें हैं। इसलिए साल 2020 के चुनाव आने तक भाजपा के नेताओं के पास इंतजार करने के शिवाय कोई विकल्प नहीं है। उस समय भी टिकट मिलेगा या नहीं यह अभी करना मुश्किल है। 

भाजपा ने विधान परिषद चुनाव में गोपीचंद पडलकर, रणजितसिंह मोहिते पाटील, प्रवीण दटके और अजित गोपछडे को उम्मीदवारी दी है। इसमें से दो उम्मीदवार साल 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव के ऐन पहले भाजपा में शामिल हुए थे। भाजपा उम्मीदवार पडलकर साल 2019 के विधानसभा चुनाव के ऐन पहले भाजपा में शामिल हुए थे। भाजपा ने पडलकर को विधानसभा चुनाव में राकांपा के उम्मीदवार तथा वर्तमान उपमुख्यमंत्री अजित पवार के खिलाफ उतारा था। लेकिन पडलकर को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। अब भाजपा ने उनका राजनीतिक पुनर्वसन किया है। रणजितसिंह मोहिते पाटील राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री विजयसिंह मोहिते पाटील के बेटे हैं। रणजितसिंह लोकसभा चुनाव के समय राकांपा  छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। नागपुर के शहर भाजपा अध्यक्ष प्रवीण दटके को भी भाजपा ने विधान परिषद की उम्मीदवारी दी है। दटके नागपुर मनपा के महापौर रह चुके हैं। भाजपा ने पार्टी के डॉक्टर सेल के प्रदेश अध्यक्ष  गोपछडे को  भी उम्मीदवारी दी है। गोपछडे नांदेड़ के निवासी हैं। 

मोदी गो बैक का नारा लगाने वाले को दिया टिकट - खडसे  

भाजपा नेता एकनाथ खडसे ने कहा कि मुझे बताया गया था कि विधान परिषद टिकट के लिए मेरा, पंकजा मुंडे और चंद्रशेखर बावनकुले के नाम की सिफारिश पार्टी नेतृत्व के पास भेजी गई है। लेकिन भाजपा ने लोकसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा का बहिष्कार करने वाले और मोदी गो बैक का नारा लगाने वाले गोपीचंद पडलकर को टिकट दिया है। राकांपा में कई सालों तक काम करने वाले रणजितसिंह मोहिते पाटील को उम्मीदवारी दी गई है। अगर पार्टी में सालों से काम करने वाले लोगों को मौका मिला होता तो मुझे खुशी होती लेकिन दूसरे दलों से आने वाले नेताओं को टिकट दिया गया है। भाजपा कौन की दिशा में जा रही है। इसकी चिंता करने की जरूरत है। खडसे ने कहा कि मैं 40 सालों से पार्टी के लिए निष्ठापूर्वक काम कर रहा हूं। मेरी अपेक्षा थी कि मुझे विधान परिषद में भेजा जाएगा। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो पाया। 

बावनकुले का इंतजार कायम

उधर नागपुर में पूर्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के बारे में भाजपा की ओर से कहा जा रहा था कि उन्हें अधिक इंतजार करना नहीं पड़ेगा। जल्द ही बड़ी जवाबदारी मिलेगी। लेकिन उनका इंतजार कायम है। विधानपरिषद की 9 सीटों के लिए चुनाव की घोषणा के साथ बावनकुले समर्थकों को लग रहा था कि उनके नेता को विधानपरिषद में भेजा जाएगा। लेकिन शुक्रवार को  उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। अफसोस तो इस बात का भी माना जा रहा है कि दटके को मुंबई का बुलावा आने की खबर जिन चुनिंदा नेताओं को दी गई थी उनमें बावनकुले शामिल नहीं थे। पार्टी सूत्र के अनुसार एक दिन पहले भाजपा की ओर से जिला प्रशासन को विविध विषयों को लेकर निवेदन सौंपा गया था। निवेदन सौंपते समय बावनकुले व दटके साथ में थे। दटके को मुंबई जाने के लिए वाहन पासिंग की प्रक्रिया कराने का संदेश मिला। उनके साथ शहर भाजपा के एक दो नेता भी मुंबई रवाना हुए। सूत्र बताते हैं कि प्रदेश भाजपा की ओर से केंद्रीय कमेटी को जिन नामों की सिफारिश की गई थी उनमें बावनकुले के अलावा पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे व पंकजा मुंडे का नाम भी शामिल था। विदर्भ क्षेत्र से बावनकुले के साथ दटके का नाम भेजा गया था। बावनकुले का नाम खारिज होने को लेकर यही माना जा रहा है कि पार्टी में केंद्रीय स्तर पर अब भी बावनकुले को लेकर मत नहीं बदला है। विधानसभा चुनाव में नामांकन भरने के अंतिम दौर तक बावनकुले टिकट का इंतजार करते रह गए। तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ रामगिरी में मध्यरात्रि में हुई गहन चर्चा व केंद्रीय स्तर पर मान मुनव्वल के प्रयास के बाद भी बावनकुले का नाम तय नहीं हो पाया। यहां तक कि उनकी पत्नी बतौर उम्मीदवार कामठी में निर्वाचन अधिकारी के कक्ष तक नामांकन भरने पहुंची थी। लेकिन उन्हें भी उम्मीदवार नहीं बनाया गया। चर्चाओं में भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह की नाराजगी का जिक्र होता रहा। कहा जाता रहा कि किसी मामले को लेकर शाह बावनकुले से नाराज है। विधानसभा चुनाव में शाह खापरखेडा में प्रचार सभा को संबोधित करने पहुंचे थे। उस दौरान केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी के आवास पर बावनकुले की शाह से मुलाकात भी हुई। उस चुनाव में भाजपा को विदर्भ में अपेक्षित सफलता नहीं मिली। उसे बावनकुले फैक्टर का प्रभाव भी कहा जा रहा था। कुछ समय बाद जिला परिषद के चुनाव हुए। देवेंद्र फडणवीस प्रचार सभाओं में जोर देकर कहते रहे कि बावनकुले को बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी। लिहाजा बावनकुले समर्थकों को कुछ उम्मीदें जगी थी। लेकिन उस उम्मीद पर जल्द ही पानी फिर गया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए बावनकुले का नाम केवल चर्चा में रहा। फिलहाल बावनकुले जिला भाजपा के पालक की भूमिका में नजर आ रहे हैं। विविध मामलों को लेकर वे स्थानीय स्तर पर विपक्ष के प्रमुख नेता की भूमिका निभा रहे हैँ। 

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