मंत्रिमंडल फैसले : बदले जाएंगे जाति के नाम वाली बस्तियों के नाम, एसटी कर्मचारियों की वेतन अदायगी जल्द
मंत्रिमंडल फैसले : बदले जाएंगे जाति के नाम वाली बस्तियों के नाम, एसटी कर्मचारियों की वेतन अदायगी जल्द
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के शहरों व गांवों में जातिसूचक बस्तियों के नाम बदले जाएंगे। राज्य की महा विकास आघाडी सरकार इनको नया नाम देगी। बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया। दरअसल बहुत सी बस्तियों के नाम जातियों के नाम पर रखे जाते रहे हैं। महारवाडा, बौद्धवाडा, मांगवाडा, ढोरबस्ती, ब्राम्हणवाडा, माली गल्ली जैसे नाम आम हैं। सरकार का मानना है कि सामाजिक सौहार्द के लिए ये नाम बदले जाने चाहिए। इन बस्तियों का नामकरण अब समता नगर, भीम नगर, ज्योतिनगर, शाहू नगर, क्रांति नगर जैसे होंगे। इसके पहले दलित बस्ती सुधार योजना का नाम बदल कर अनुसूचित जाति व नवबौद्ध बस्ती विकास योजना किया गया है। साथ ही डा बाबा साहेब आंबेडकर दलित मित्र पुरस्कार का नाम बदल कर ‘डा बाबा साहेब आंबेडकर समाज भूषण पुरस्कार’ किया गया है। राष्ट्रपति के आदेश के अनुसार अनुसूचित जाति के संबोधन के लिए अब सभी सरकारी व्यवहार, प्रमाणपत्र आदि में दलित शब्द की बजाय अंग्रेजी भाषा में ‘सिड्यूल्ड कास्ट’ व ‘नवबौद्ध’ और मराठा भाषा में ‘अनुसूचित जाति व नव बौध्द’ शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा।
सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग योजना लागू करने मिली मंजूरी
प्रदेश में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग योजना लागू करने को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। इस योजना को लागू करने के लिए प्रदेश परियोजना प्रबंधन कक्ष स्थापित किया जाएगा। इसके साथ ही प्रदेश में पहले से शुरू मुख्यमंत्री कृषि व खाद्य प्रसंस्करण योजना जारी रहेगी। योजना के लाभार्थियों को परियोजना लागत का 35 प्रतिशत अधिक से अधिक 10 लाख रुपए तक क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी के आधार पर अनुदान मिल सकेगा। इसी तरह परियोजना का प्रारूप तैयार करने, कौशल्य प्रशिक्षण, बैंक कर्ज, लाइसेंस निकालने के लिए मदद की जाएगी। योजना को लागू करने के लिए कृषि विभाग नोडल के रूप में काम करेगा। इस योजना के लिए केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और राज्य सरकार 40 प्रतिशत निधि उपलब्ध कराएगी। प्रदेश में लगभग 2.24 लाख असंगठित और गैर पंजीकृत कृषि व खाद्य प्रसंस्करण उद्योग हैं। इस क्षेत्र के उद्यमियों को बाहर से कर्ज नहीं मिलता। साथ ही वित्तिय संस्थाओं से कर्ज लेने के लिए खर्च ज्यादा होता है। फिलहाल उनके पास आधुनिकीकरण का अभाव है। एकीकृत खाद्य आपूर्ति श्रृंखला भी नहीं है। इन मुश्किलों के निराकरण के लिए यह योजना चलाई जाएगी। इसमें उत्पाद के ब्रांडिंग व विपणन को मजबूत करने, आपूर्ति श्रृंखला जोड़ने, अन्न प्रक्रिया क्षेत्र में अनुसंधान व प्रशिक्षण संस्था को मजबूत करने, उद्योगों को व्यवसायिक व तकनीकी सहायता आदि का समावेश होगा।
अकोला, यवतमाल, औरंगाबाद व लातूर के मेडिकल कॉलेज में बनेंगे अति विशेष उपचार अस्पताल
प्रदेश में प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत अकोला, यवतमाल, लातूर और औरंगाबाद के सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल में अति विशेष उपचार अस्पताल शुरू करने को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। इसके लिए प्रथम चरण में 888 पदों का सृजन किया जाएगा। इस काम के लिए प्रत्येक महाविद्यालय के लिए केंद्र सरकार 120 करोड़ रुपए और राज्य सरकार 30 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता देगी। फिलहाल औरंगाबाद में अस्पताल का 95 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। यवतमाल में भी अस्पताल का काम लगभग पूरा हो गया है। लातूर और अकोला के मेडिकल कालेज के इमारत का उपयोग फिलहाल कोविड उपचार के लिए किया जा रहा है। नए शुरू होने वाले अति विशे। उपचार अस्पतालों में हृदयरोग चिकित्सा, मूत्र पिंड चिकित्सा, मूत्र रोग शल्यचिकित्सा, न्यूरोसर्जरी, नवजात शिशु अतिदक्षता विभाग जैसी सेवाएं होंगी। अस्पताल के पहले चरण में वर्ग -1 का 34, वर्ग-2 का 38, वर्ग-3 का नियमित 388 और आउटसोर्स से 28, वर्ग-4 के ठेके के 344 और विद्यार्थी निवासी पद को मिलाकर कुल 888 पद भर जाएंगे। इसके लिए 42 करोड़ 99 लाख 23 हजार 568 रुपए वार्षिक खर्च होगा।
एसटी कर्मचारियों के वेतन अदायगी के लिए एक हजार करोड़
महाराष्ट्र राज्य मार्ग परिवहन महामंडल (एसटी) के कर्मचारियों के बकाया वेतन की अदायगी के लिए एक हजार करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता देने के फैसले को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है।
31 दिसंबर 2019 तक के राजनीतिक-सामाजिक आंदोलनों के मुकदमें रद्द
प्रदेश में 31 दिसंबर 2019 तक के राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों के दौरान दर्ज हुए मुकदमे वापस लेने के फैसले को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। इससे पहले 14 मार्च 2016 के शासनादेश के अनुसार 1 नवंबर 2014 के पहले के मामलों को वापस ले लिया गया था। लेकिन 1 नवंबर 2014 के बाद राज्य में विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक और अन्य जनआंदोलनों की संख्या बढ़ रही है। इन आंदोलनों के दौरान दर्ज किए गए मामलों को वापस लेने का आग्रह और जनप्रतिनिधियों व विभिन्न संगठनों की ओर से की किया गया था। इसलिए राज्य मंत्रिमंडल ने यह फैसला लिया था। इससे पहले मामलों को वापस लेने के लिए तत्कालीन वित्त व नियोजन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की समिति गठित की गई थी। लेकिन अब मामलों को वापस लेने के लिए गृह विभाग के प्रमुख के रूप में गृहमंत्री अनिल देशमुख सक्षम प्राधिकारी होंगे। इसलिए मंत्रिमंडल उपसमिति को अब बर्खास्त कर दिया गया है।