बीएड में नियमों के विपरीत प्रवेश का मामला, हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

बीएड में नियमों के विपरीत प्रवेश का मामला, हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

Bhaskar Hindi
Update: 2019-08-28 08:29 GMT
बीएड में नियमों के विपरीत प्रवेश का मामला, हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। हाईकोर्ट में मंगलवार को सागर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार आरएन जोशी ने कहा कि बीएड में नियमों के विपरीत प्रवेश देने के लिए यूनिवर्सिटी के अधिष्ठाता महाविद्यालय विकास परिषद (डीसीडीसी) डॉ. सुबोध जैन जिम्मेदार है। वहीं डीसीडीसी ने कहा कि यह निर्णय विश्वविद्यालय की 20 सदस्यीय कमेटी ने लिया था। नियम विरूद्द्ध प्रवेश के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराने के लिए एक्टिंग चीफ आरएस झा और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने जमकर नाराजगी जताई है। युगल पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 30 अगस्त को नियत की है। 

नर्मदा शिक्षा महाविद्यालय जबलपुर की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि एनसीटीई नई दिल्ली और प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने बीएड में प्रवेश के लिए एमपी ऑनलाइन के जरिए केन्द्रीयकृत काउंसलिंग का नियम बनाया है। इसके विपरीत सागर यूनिवर्सिटी द्वारा स्वनिर्मित काउंसलिंग से बीएड में प्रवेश दिया जा रहा है। नवंबर 2018 में हाईकोर्ट ने एनसीटीई और उच्च शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित एमपी ऑनलाइन की केन्द्रीयकृत काउंसलिंग के जरिए प्रवेश देने का आदेश दिया था। इसके बाद भी सागर यूनिवर्सिटी द्वारा स्वनिर्मित काउंसलिंग से बीएड में प्रवेश दिए गए। 

37 कॉलेजों के 2 हजार प्रवेश निरस्त 

हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सागर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार आरएन जोशी ने हाईकोर्ट में शपथ-पत्र देकर बताया कि सागर यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले 37 कॉलेजों के 2 हजार बीएड के छात्रों के प्रवेश निरस्त कर दिए गए है। पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूछा था कि नियम विरूद्द्ध तरीके से प्रवेश देने के लिए कौन जिम्मेदार है। मंगलवार को रजिस्ट्रार की ओर से कहा गया कि नियम विरूद्द्ध तरीके से प्रवेश के लिए डीसीडीसी डॉ. सुबोध जैन जिम्मेदार है। वहीं डॉ. सुबोध जैन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन सिंह ने कहा कि बीएड में प्रवेश देने के लिए किसी एक अधिकारी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। यह निर्णय 20 सदस्यीय कमेटी ने लिया था। 

एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराने पर कोर्ट ने जताई नाराजगी 

बीएड में नियम विरूद्ध तरीके से प्रवेश के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराने के लिए कोर्ट ने जमकर नाराजगी जताई। युगल पीठ ने कहा कि यह याचिका वर्ष 2017 से विचाराधीन है। पिछले 8 महीने से नियम विरूद्द्ध तरीके से प्रवेश के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

दो हजार छात्रों की दूसरे कॉलेजों में की जाए शिफ्टिंग 

अधिवक्ता मुकुंददास माहेश्वरी ने कोर्ट के समक्ष सुझाव दिया कि बीएड के जिन 2 हजार छात्रों के प्रवेश निरस्त किए गए है। उनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए छात्रों की सागर जिले के आसपास के कॉलेजों में शिफ्टिंग की जाए। सेकेंड राउंड की काउंसलिंग के बाद भी कॉलेजों में 2500 सीट खाली है। उन्होंने कहा कि छात्रों की फीस भी कॉलेजों में ऑनलाइन ट्रांसफर की जाए। इस पर शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि इस सुझाव को राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा।
 

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