विधानसभा : प्रवेश के लिए तुरंत नहीं देना होगा मराठा समाज के छात्रों को जाति प्रमाणपत्र

विधानसभा : प्रवेश के लिए तुरंत नहीं देना होगा मराठा समाज के छात्रों को जाति प्रमाणपत्र

Bhaskar Hindi
Update: 2019-06-26 14:05 GMT
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डिजिटल डेस्क, मुंबई।  जाति प्रमाणपत्र हासिल करने में आ रही मुश्किलों के मद्देनजर राज्य सरकार ने लाखों मराठा विद्यार्थियों को बड़ी राहत दी है। राज्य के इंजीनियरिंग, फार्मेसी, होटल मैनेजमेंट, वास्तुकला जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के दौरान मराठा समाज के विद्यार्थियों को एसईबीसी वर्ग का जाति प्रमाणपत्र तुरंत देने की जरूरत नहीं है। उच्च शिक्षा व तकनीकी शिक्षा मंत्री विनोद तावडे ने विधानसभा में यह जानकारी दी। राकांपा के जयंत पाटील ने औचित्य के तहत यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिले के इच्छुक विद्यार्थियों को जाति प्रमाणपत्र समय पर न मिलने के चलते परेशानी हो रही है। उन्होंने मांग की कि प्रमाणपत्र मिलने से पहले मिलने वाले वेरिफिकेशन टोकन को स्वीकार किया जाए। अजित पवार ने भी सभी व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए वेरिफिकेशन टोकन को स्वीकार किए जाने की मांग की। राज्य के तकनीकी व व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए विद्यार्थियों को पहले ही चरण में जाति प्रमाणपत्र देने को कहा गया था। तावडे ने बताया कि इस मुद्दे पर बुधवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में नियमन समिति के अध्यक्ष व पूर्व न्यायाधीश देशमुख, विशेष पिछड़ा वर्ग कल्याणमंत्री संजय कुटे, विभागों के सचिव और वे खुद मौजूद थे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास इतने संसाधन नहीं है कि तुरंत सभी मराठा विद्यार्थियों को जाति प्रमाणपत्र दिया जा सके इसलिए ऐसे विद्यार्थी जो जाति छानबीन समिति में अर्ज कर चुके हैं, उन्हें एडमिशन के लिए तुरंत जाति प्रमाणपत्र देने की जरूरत नहीं होगी। 

नागपुर मनपा से प्रस्ताव मिलने के बाद जमीन के लिए मंजूरी

उपराजधानी नागपुर में डॉ.बाबासाहब आंबेडकर जन्मशताब्दी स्मारक के निर्माण के लिए यशवंत स्टेडिम परिसर की विचाराधीन जगह का एकत्रित प्रारूप तैयार करके 15 अगस्त तक राज्य सरकार के पास भेजने का निर्देश नागपुर मनपा को दिए जाएंगे। विधान परिषद में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यह जानकारी दी। प्रश्नकाल में राष्ट्रवादी कांग्रेस के सदस्य प्रकाश गजभिये ने इस संबंध में सवाल पूछा था। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि स्मारक के लिए अंतिम लेआऊट भेजने के लिए मनपा को आदेश दिए जाएंगे। मनपा की तरफ से प्रस्ताव आने के बाद राज्य सरकार 30 अगस्त तक जमीन के लिए मंजूरी दे देगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्मारक के निर्माण कार्य के लिए नागपुर मनपा निधि खर्च करेगी। यदि नागपुर मनपा के पास निधि कम हुई तो राज्य सरकार आवश्यक निधि उपलब्ध कराएगी। इसी बीच पीआरपी के सदस्य जोगेंद्र कवाडे ने कहा कि नागपुर मनपा ने बाबा साहेब आंबेडकर के शताब्दी स्मारक में आंबेडकर भवन और संशोधन केंद्र बनाने के लिए स्टेडिम परिसर की 13.56 एकड़ जमीन राज्य सरकार से मांगने का प्रस्ताव मंजूर किया है। बाकी लोगों के स्मारक जल्दी पूरा हो जाते हैं। केवल आंबेडकर स्मारक के काम में ही देरी क्यों हो रही है। सरकार ने इच्छा शक्ति दिखाकर स्मारक का काम पूरा करे। इसके जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि स्मारक बनाने की इच्छा शक्ति इसी सरकार के पास है। क्योंकि पिछले 15 सालों में स्मारक के लिए सरकार से एक इंज भी जमीन नहीं मिल पाई। आघाडी सरकार के समय राजस्व विभाग ने जमीन देने का प्रस्ताव नामंजूर कर दिया था। राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद जमीन देने को लेकर प्रस्ताव को पुनर्जिवित किया गया। 

पीएम आवास योजना के लिए अकोला मनपा के डीसीआर में बदलाव 

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सुलभता से घर बनाने के लिए डीसीआर नियम में बदलाव करने संबंधित अकोला महानगर पालिका के प्रस्ताव को मंजूर किया जाएगा। विधान परिषद में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यह जानकारी दी। सदन में शिवसेना सदस्य गोपीकिशन बाजोरिया ने इस संबंध में सवाल पूछा था। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के पास निधि और जगह है। लेकिन डीसीआर के नियमों के कारण निर्माण कार्य नहीं हो पा रहा है। इसलिए नियमों में बदलाव किया जाएगा। 

पुलों के स्ट्रक्चरल आडिट की कैग से होगी जांच 

मुंबई महानगर पालिका के माध्यम से पिछले पांच सालों में पुलों के किए गए स्ट्रक्चर ऑडिट का कैग के माध्यम से जांच कराई जाएगी। विधान परिषद में प्रदेश के नगर विकास राज्य मंत्री योगेश सागर ने यह घोषणा की। प्रश्नकाल में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने मुंबई सीएसटीएम के पास स्थित हिमालय पुल ढहने को लेकर सवाल पूछा था। मुंडे ने कहा कि मुंबई मनपा ने डी डी देसाई कंपनी को पुल के ऑडिट करने का काम दिया था। लेकिन कंपनी ने सड़क पर खड़े होकर पुल का ऑडिट किया। ऑडिट ठीक तरीके से हुआ है कि नहीं यह देखने की जिम्मेदारी मुंबई मनपा के संबंधित उपायुक्त की है। उपायुक्त के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। इस पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है। इसके अलावा अब संबंधित चीफ इंजीनियर और उपायुक्त की जांच की जाएगी। यदि वे दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 

 

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