हादसे में एक भाई खोया तो मिल गए 17 भाई

हादसे में एक भाई खोया तो मिल गए 17 भाई

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-06 18:48 GMT
हादसे में एक भाई खोया तो मिल गए 17 भाई

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। भाई-बहन का रिश्ता जितना पवित्र और प्यारा होता है उतना ही नाजूक भी होता है। रक्षाबंधन के त्यौहार पर यदि किसी घर में भाई या बहन न हो तो बहुत सूनापन महसूस होता है। हालांकि इस सूनेपन को खुन का रिश्ता नहीं तो मन का रिश्ता दूर कर देता है। ऐसे ही एक मामले में दो बहनों का सूनापन दूर करने के लिए भगवान ने उन्हें एक के बदले 17 भाई दे दिए। अपने इकलौते भाई को हादसे में खोने के बाद शहर की दो बहनों को 1-2 नहीं पूरे 17 भाई मिल गए। जो हर साल न केवल रक्षा सूत्र बंधवाते है बल्कि हर त्यौहार एक परिवार के रूप में मनाते है। इसमें दो भाई मुस्लिम भी है जो अपने दोस्त की बहनों को सगी बहन जैसा दुलार करते हैं। शहर की मानधाता कॉलोनी निवासी सूर्यवंशी परिवार की रेखा व बबली को मुंह बोले 17 भाईयों की कलाई पर राखी बांधते हुए 20 साल हो गए हैं। समय के साथ ही भाई-बहन का रिश्ता और गहराता जा रहा है। 

पचमढ़ी में हुई थी घटना
सूर्यवंशी परिवार 1994 की जनवरी के उस काले दिन को याद कर सिसक उठता है। श्यामाबाई सूर्यवंशी का इकलौता पुत्र दोस्तों के साथ पचमढ़ी गया था, जहां सड़क दुर्घटना में बाकी दोस्त तो मामूली चोटिल हुए पर रवि सूर्यवंशी की मौत हो गई तब से रवि के दोस्तों ने रवि की दो बहनों बबली व रेखा को बहन बना लिया।

हिन्दु के साथ मुस्लिम भाई भी
बबली व रेखा अब 17 भाईयों के साथ सुख-दुख बांटती है। जिसमें हिन्दु भाईयों के साथ दो मुस्लिम भाई भी रक्षा सूत्र बंधवाने बहनों के पास पहुंचना नहीं भूलते। इन 17 भाईयों में युसुफ खान, नदीम मंसूरी, कैलाश साहू, नरेश साहू, अरूण टेकरे, दिनेश नेमा, सुनील नामदेव, जय सूर्यवंशी, उमाकांत शुक्ला, नीरज, मनोज, सूर्यवंशी, मुकेश शुक्ला, दिलीप कालबाण्डे, रघुनंदन सूर्यवंशी, नंदकिशोर सोनी, प्रमोद सोनी एवं मनोज शामिल है। 

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