सहकारी समिति के रिश्वतखोर सेल्समैन को 4 साल की सजा, अर्थदंड भी लगाया

सहकारी समिति के रिश्वतखोर सेल्समैन को 4 साल की सजा, अर्थदंड भी लगाया

Bhaskar Hindi
Update: 2019-01-19 08:59 GMT
सहकारी समिति के रिश्वतखोर सेल्समैन को 4 साल की सजा, अर्थदंड भी लगाया

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। लोकायुक्त के विशेष न्यायाधीश ने दो हजार रुपए रिश्वत लेने के आरोप में सेवा सहकारी समिति सिंगोद के सेल्समैन वीरेन्द्र खम्परिया को चार साल की सजा सुनाई है। न्यायालय ने आरोपी पर ढाई हजार रुपए अर्थदंड भी लगाया है।

यह था पूरा मामला
अभियोजन के अनुसार पनागर निवासी विनोद पटेल ने 12 मई 2015 को लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक के समक्ष शिकायत दर्ज कराई कि उसने सेवा सहकारी समिति सिंगोद में 103.5 क्विंटल गेहूं सरकारी रेट पर बेचा था। गेहूं बेचने के कमीशन के रूप में समिति के सेल्समैन वीरेन्द्र खम्परिया द्वारा उससे दो हजार रुपए की रिश्वत की मांग की जा रही थी। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए लोकायुक्त की टीम ने 13 मई 2015 को सेल्समैन वीरेन्द्र खम्परिया को पनागर बस स्टैंड के समीप वर्मा होटल में विनोद पटेल से दो हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। सेल्समैन ने शिकायतकर्ता से रिश्वत की रकम लेकर अपनी शर्ट की जेब में रख ली थी।

बयान के पहले हो गई थी शिकायतकर्ता की मृत्यु
इस मामले में बयान देने के पहले ही शिकायतकर्ता विनोद पटेल की मृत्यु हो गई थी। विशेष लोक अभियोजक प्रशांत शुक्ला ने बताया कि शिकायतकर्ता के दोस्त राजेश पटेल को मुख्य गवाह के रूप पेश किया। राजेश पटेल ने ही शिकायतकर्ता के कहने पर शिकायती आवेदन लिखा था। इसके अलावा उन पंचसाक्षियों की मदद से मामले को प्रमाणित किया गया, जिनके सामने सेल्समैन को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। सुनवाई के बाद न्यायालय ने आरोपी को चार साल का कारावास और ढाई हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई।

शहडोल कलेक्टर पर हाईकोर्ट ने लगाई 5 हजार रुपए की कॉस्ट
वहीं हाईकोर्ट ने पेंशन प्रकरण में पर्याप्त अवसर देने के बाद भी जवाब पेश नहीं करने पर शहडोल कलेक्टर पर 5 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई है। जस्टिस पीके जाससवाल की एकल पीठ ने शहडोल कलेक्टर को दो सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। प्रकरण की अगली सुनवाई 4 फरवरी को नियत की गई है। शहडोल निवासी मधु एरन की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि वह शहडोल में राजस्व विभाग में कार्यरत थी। उसने वर्ष 2006 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। इसके बाद से उसे पेंशन मिल रही थी। राजस्व विभाग ने वर्ष 2010 में उसे आरोप-पत्र देकर उसकी सेवा समाप्त कर दी। इसके बाद विभाग ने उसकी पेंशन भी बंद कर दी।

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने वर्ष 2006 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। नियमों के अनुसार स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद किसी कर्मचारी की सेवा समाप्त कर पेंशन बंद नहीं की जा सकती है। जुलाई 2018 में एकल पीठ ने शहडोल कलेक्टर को 6 सप्ताह में जवाब पेश करने की अंतिम मोहलत दी थी। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान भी जवाब पेश नहीं किया गया। अधिवक्ता पी. शंकरन नायर ने तर्क दिया कि जानबूझकर जवाब पेश करने में विलंब किया जा रहा है। सुनवाई के बाद एकल पीठ ने शहडोल कलेक्टर पर 5 हजार रुपए की कॉस्ट लगाते हुए दो सप्ताह में जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

 

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