कमर्शियल माइनिंग से समाप्त हो जाएगा कोल इंडिया का अस्तित्व-श्रमिक संगठन
कमर्शियल माइनिंग से समाप्त हो जाएगा कोल इंडिया का अस्तित्व-श्रमिक संगठन
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा । कोल इंडिया के लिए सरकार का कमर्शियल माइनिंग को बढ़ावा देने का कदम एक बड़़ी त्रासदी साबित होगा और कमर्शियल माइनिंग से कोल इंडिया का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। यह कहना है कोल क्षेत्र के जानकार और श्रमिक संगठनों के नेताओं का। 20 फरवरी को केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक बैठक लेकर कोल ब्लाक के मालिकों को अपना कोयला खुले बाजार में बेचने की अनुमति दे दी। सरकार के इस निर्णय से कोल इंडिया के कामगारों और जानकारों में हड़कंप मच गया है। अब तक खुले बाजार में केवल कोल इंडिया का कोयला ही बेचा जाता है जिसका मूल्य लगभग 4000 रुपए प्रति टन है, लेकिन कोल ब्लाक के मालिकों के खुले कोयला बाजार में उतरने से कोयला 4000 रुपए प्रति टन में बेचना मुश्किल हो जाएगा। इस बात का विरोध श्रमिक संगठनों ने करना शुरू कर दिया है और आंदोलन भी किए जा रहे हैं।
क्या है कमर्शियल माइनिंग
सरकार कमर्शियल माइनिंग के तहत कोयला व्यापार में निजी क्षेत्र को शामिल कर रही है। अब तक कोल ब्लाक का आवंटन इस शर्त के साथ होता था कि उद्योग पति कोल ब्लाक की खदान से कोयला निकाल कर केवल स्वयं के उद्योग के लिए उस कोयले का उपयोग कर सकेगा। कोल ब्लाक की खदानों से कोयला निकालकर खुले बाजार में बेचने की अनुमति नहीं थी, लेकिन कमर्शियल माइनिंग के जरिए सरकार अब कोल ब्लाक की खदानों से निकले कोयले को सार्वजनिक बाजार में बेचने की अनुमति दे रही है, जिससे कोयला बेचने का सरकारी कंपनी कोल इंडिया का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा।
क्यों हो रहा कमर्शियल माइनिंग का विरोध
कोल इंडिया के उपक्रम वेकोलि एसईसीएल सहित अन्य संस्थानों में कोयला निकालना बहुत महंगा है। यही कारण है की कोल इंडिया की भूमिगत खदानें लगातार घाटे में चल रही हैं। इसके उलट कोल ब्लाक की खदानों से कम लागत में कोयला निकाला जा रहा है और कम लागत में निकाला गया कोयला खुले बाजार में बेचा गया तो उसकी कीमत भी कम रहेगी। इस स्थिति में कोल इंडिया का महंगा कोयला बिकना बंद हो जाएगा, जिससे लगभग पूरी खदानें बंद करने की नौबत आ जाएगी।
क्या कहते हैं श्रमिक संगठन
॥भाजपा की सरकार लगातार कोयला श्रमिकों पर आघात कर रही है। इंटक कमर्शियल माइनिंग का लगातार विरोध कर रही है। यह व्यवस्था चंद उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए की जा रही है।
-सोहन वाल्मिक, अध्यक्ष इंटक रीजनल, विधायक
कमर्शियल माइनिंग कोल इंडिया को समाप्त करने की साजिश है। बीएमएस अन्य संगठनों के साथ मिलकर 16 अप्रैल को इस प्रस्ताव के विरोध में हड़ताल कर रही है। जरूरत पड़ी तो अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी।
-राकेश चतुर्वेदी, प्रदेश मंत्री भारतीय मजदूर संघ
॥कमर्शियल माइनिंग का प्रस्ताव कभी लागू नहीं होने देंगे, हम लगातार आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं, सरकार अपनी मोनोपल्ली चला रही है। इसके खिलाफ आखिरी दम तक लड़ाई लड़ेंगे।
-राजेश सूर्यवंशी, महामंत्री एचएमएस