सदन : कॉन्ट्रैक्चुअल वर्कर्स को भी मिले ईपीएफ की सहायता, आठवले ने कहा- पदोन्नति में आरक्षण पर फैसला अन्यायपूर्ण

सदन : कॉन्ट्रैक्चुअल वर्कर्स को भी मिले ईपीएफ की सहायता, आठवले ने कहा- पदोन्नति में आरक्षण पर फैसला अन्यायपूर्ण

Tejinder Singh
Update: 2020-02-10 15:11 GMT
सदन : कॉन्ट्रैक्चुअल वर्कर्स को भी मिले ईपीएफ की सहायता, आठवले ने कहा- पदोन्नति में आरक्षण पर फैसला अन्यायपूर्ण

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शिवसेना सांसद विनायक राऊत ने सोमवार को लोकसभा में प्रोविडेंट फंड के कंट्रीब्यूशन और ईएसआइसी की समस्या की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया। उन्होने सदन में मांग उठाई कि कॉन्ट्रैक्चुअल वर्कर्स को भी ईपीएफ और ईएसआइसी की सहायता मिलनी चाहिए। सांसद राऊत ने कहा कि बहुत से ठेकेदार कॉन्ट्रेक्चुअल वर्कर्स कंट्रीब्यूशन तो इकठ्‌ठा करते है और उसे प्रोविडेंट फंड में जमा करते है, लेकिन मालिक शेअर डिडक्ट करके जमा नहीं किया जाता है। कॉन्ट्रेक्चुअल सिस्टम में दूसरा ठेकेदार आने के बाद उनकी जो कन्टिन्यूटी होनी चाहिए वह बहुत सी जगहों पर नहीं हो रही है खासकर मुंबई और दिल्ली के एयरपोर्ट्स पर जहां बड़ी संख्या में कॉन्ट्रेक्चुअल वर्क र्स काम कर रहे हैं। लिहाजा सरकार से मांग है कि कॉन्ट्रैक्चुअल वर्कर्स को भी ईपीएफ और ईएसआइसी की सहायता मिले इस ओर ध्यान दिया जाए। इसके अलावा सरकार द्वारा जो डाटा बेस पोर्टल बनाया गया है उसमें भी सुधार किया जाए। 

सुप्रीम कोर्ट का पदोन्नति में आरक्षण पर फैसला अन्यायपूर्ण- आठवले

उधर केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास आठवले ने पदोन्नति में आरक्षण के मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए इसे अन्यायपूर्ण बताया। उन्होंने राज्यसभा में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जारी चर्चा में अपनी बात रखते हुए सरकार से मांग की है कि संसद पदोन्नति में आरक्षण लागू करने का कानून बनाए और इसे संविधान की नौवी सूची में शामिल करें। राज्यमंत्री आठवले ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का पदोन्नति में आरक्षण मौलिक अधिकार नही है कहना चिंता की बात है। आरक्षण अनुसूचित जाति और जनजाति का संवैधानिक अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आरक्षण को समाप्त करने का है जो कि बेहद अन्यायपूर्ण और गल़त है। उन्होंने कहा कि डॉ बाबासाहेब आंबेडकर और गांधीजी के बीच हुए पुणे करार के तहत एससी को 15 और एसटी को 7.7 फीसदी आरक्षण देने का निर्णय संविधान के तहत दिया गया है। संवैधानिक प्रावधान के तहत एससी-एसटी को नौकरियों में दिया गया है। इसके अनुसार राज्य सरकारों ने एससी-एसटी को नौकरियों में आरक्षण आरक्षण देना ही चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में राज्यों को निर्देश देना चाहिए था, लेकिन उन्होने इसे समाप्त करने का प्रयास किया है। उन्होने कहा कि इस मसले पर वे केन्द्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान, राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल और अर्जुन मुंडा सहित अन्य मंत्रियों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ इस मसले पर प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे।
 

बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए आम बजट में कोई प्रावधान नहीं-सांसद कीर्तिकर

शिवसेना सांसद गजानन कीर्तिकर ने सोमवार को लोकसभा में 2020-21 के आम बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि किसानों तथा बेरोजगारी की समस्या के समाधान के बारे में इस बजट में कोई प्रावधान नहीं है। सांसद कीर्तिकर ने कहा कि देश की विकास दर महज 4.5 फीसदी है। बेरोजगारी इतनी बढ़ी है कि देश में 22 लाख से भी अधिक पद खाली पड़े है। उन्हें भरने के लिए बजट में किसी तरह का कोई ठोस प्रावधान नहीं किया गया है। उन्होने कहा कि एक ओर सरकारी कंपनियों को बेचा जा रहा है और दूसरी ओर एयर इंडिया और रेलवे का निजीकरण किया जा रहा है जो कि बहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को कर के रुप में जो राजस्व प्राप्त होता है उसमें महाराष्ट्र का हिस्सा सबसे अधिक है, लेकिन बजट में महाराष्ट्र के हिस्से में बहुत कम निधि आया है। मोदी सरकार की 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के मुद्दे पर कहा कि इस तरह की घोषणा 2014 के बजट में भी की गई थी, लेकिन किसानों की आय दोगुनी करने को लेकर कोई ठोस उपाय नहीं किए गए है। उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए आर्थिक वृद्धि दर 11 प्रतिशत होनी चाहिए, लेकिन वास्तव में यह केवल 2 से 3 फीसदी ही है। वर्तमान विकास दर ध्यान में लिया जाए तो सरकार द्वारा की गई यह घोषणा पूरी तरह से अव्यवहारिक है। सरकार का 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य यह केवल सपना है।
 

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