कोरोना प्रोटोकॉल -निजी चिकित्सक बिना पीपीई किट पहने मरीजों का नहीं कर सकते इलाज

कोरोना प्रोटोकॉल -निजी चिकित्सक बिना पीपीई किट पहने मरीजों का नहीं कर सकते इलाज

Bhaskar Hindi
Update: 2020-04-17 13:28 GMT
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 डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। कोरोना वायरस से बचाव के लिए जारी प्रोटोकॉल निजी अस्पताल और क्लीनिक चला रहे चिकित्सकों को भारी पड़ रहा है। प्रोटोकॉल के तहत हर मरीज का चैकअप करने से पहले डॉक्टर को पीपीई किट पहनना अनिवार्य है। इसके बाद ही वे मरीज की जांच कर सकते है। अब चिकित्सकों के सामने यह समस्या आ खड़ी हुई है कि वे पीपीई किट का खर्चा कैसे निकाले। चिकित्सकों का कहना है कि वे मरीजों से फीस के दो से तीन सौ रुपए से अधिक भी नहीं ले सकते। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए पीपीई किट पहनना भी जरुरी है। इस वजह से वे अपना निजी क्लीनिक नहीं खोल रहे है।
प्रदेश में कई चिकित्सक मरीजों का इलाज करते वक्त संक्रमण का शिकार हो चुके है। इसके बाद स्वास्थ्य संचालनालय ने सभी चिकित्सकों के लिए प्रोटोकॉल जारी कर एहतियात बरतने के निर्देश जारी किए है। कोरोना प्रोटोकॉल के तहत निजी क्लीनिक, अस्पताल और नर्सिंग होम में आने वाले मरीजों की जांच के दौरान चिकित्सकों को पीपीई किट पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। प्रोटोकॉल का पालन करना चिकित्सकों के लिए बड़ी समस्या बन गई है।
डेंटल और ईएनटी चिकित्सक को ज्यादा रिस्क-
कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा सबसे अधिक दंत रोग विशेषज्ञ और नाक,कान-गला रोग विशेषज्ञों को है। कोरोना से बचाव के लिए डेंटल और ईएनटी चिकित्सकों को प्रोटोकॉल का पालन करना आवश्यक है। इन चिकित्सकों के लिए पीपीई किट का अतिरिक्त खर्च परेशानी का कारण बना हुआ है। इसके अलावा अन्य निजि चिकित्सकों को भी प्रोटोकॉल भारी पड़ रहा है।
तीन सौ रुपए फीस, पंद्रह सौ रुपए की किट-
निजी चिकित्सकों का कहना है कि वे क्लीनिक में आने वाले मरीजों से अधिकतम तीन सौ रुपए फीस ले सकते है। एक मरीज की जांच के दौरान उपयोग में लाई जाने वाली पीपीई किट लगभग 12 से 15 सौ रुपए में मिल रही है। बड़ी बात यह है कि एक किट को एक बार ही उपयोग में लाया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर बाजार में पीपीई किट का टोटा बना हुआ है।
क्या कहते हैं चिकित्सक-
- संक्रमण से बचाव के लिए पीपीई किट का उपयोग जरुरी है, लेकिन किट काफी महंगी होने से चिकित्सक असमंजस में है। इस वजह से अधिकांश  चिकित्सक अपना क्लीनिक और अस्पताल नहीं खोल रहे है। हालांकि इमरजेंसी में मरीजों को फोन पर चिकित्सकीय सलाह दी जा रही है।
- डॉ.नितिन श्रीवास्तव, सचिव, इंडियन डेंटल एसोसिएशन
 

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