कपास खरीदी पर ग्रहण, तीन राज्यों के कॉटन एसोशिएसन ने टेंडरों का किया बहिष्कार

कपास खरीदी पर ग्रहण, तीन राज्यों के कॉटन एसोशिएसन ने टेंडरों का किया बहिष्कार

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-22 11:22 GMT
कपास खरीदी पर ग्रहण, तीन राज्यों के कॉटन एसोशिएसन ने टेंडरों का किया बहिष्कार

डिजिटल डेस्क, छिन्दवाड़ा/पांढुर्ना। एक तरफ इस साल सरकार कपास के समर्थन मूल्य में लगभग बीस प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर एमएसपी पर खरीदी का दावा कर रही है। वहीं दूसरी ओर कपास खरीदी करने वाले सीसीआई (कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) के सेंटरों पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है। निजी जिनिंग फैक्टरियों में सीसीआई के सेंटर खोले जाने को लेकर तीन बार टेंडर कॉल हुए। परंतु संशोधित नई नीतियों के कारण कोई भी जिनिंग फैक्टरी संचालक टेंडर भरने तैयार नही है।

नीतियों के चलते मध्यप्रदेश सहित महाराष्ट्र और तेलांगना कॉटन एसोशिएसन ने टेंडर भरने का बहिष्कार किया हुआ है। आगामी अक्टूबर महीने के पहले पखवाड़े से एक ओर नई कपास की आवक शुरू हो जाएगी, वहीं दूसरी ओर जिनिंग फैक्टरियों में सरकारी खरीदी की व्यवस्था नही होने से नई परेशानियां सामने आ सकती है।

खरीदी करेंगे सीसीआई के अधिकारी, जिम्मेदारी होगी जिनिंग संचालक की
सीसीआई के सेंटर के टेंडर की शर्तों में सीसीआई की नई सीएमडी डॉ.पी अल्लीरानी ने कई नई शर्तें जोड़ी दी है। जिसमें कपास की गलाई के बाद रूई में दो प्रतिशत से अधिक ट्रेस (कचरापट्टी) नही होना चाहिए। 100 किलो कपास में कम से कम 33 किलो रूई बनना चाहिए। इसके अलावा नमी और अन्य खामियों की जिम्मेदारी भी जिनिंग-प्रेसिंग फैक्टरी संचालकों की होगी। जबकि कपास की खरीदी के लिए सीसीआई अपने नोडल अधिकारी और ग्रेडर-परचेसर भेजेगा।

इस साल केन्द्र सरकार ने वर्ष 2018-19 के सीजन के लिए मीडियम स्टेपल वाले कपास का एमएसपी 5150 रूपए प्रति क्विंटल और लॉग स्टेपल वाले कपास का एमएसपी 5450 रूपए प्रति क्विंटल तय किया है। जबकि पिछले साल रेट क्रमश: 4220 और 4320 रूपए प्रति क्विंटल था।

इनका कहना
मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र सहित तेलांगना के जिनिंग फैक्टरी संचालक सीसीआई की नई नति से असहमत है। उनके अधिकारियों की लापरवाही या खामियों का दंड जिनिंग फैक्टरी संचालक नही झेल सकते। हालांकि सीसीआई ने तीसरे टेंडर में ट्रेस घटाकर दो प्रतिशत और रूई का उतारा 32 से 34 प्रतिशत तक कर दिया है, परंतु अभी-भी इन शर्तों पर काम करना मुश्किल है। क्वालिटी कंट्रोल, परचेसिंग और बाय प्रोडक्ट के प्रोडक्शन परसेंट पर सीसीआई के अधिकारियों की ही जिम्मेदारी तय होना चाहिए।
-मनजीतसिंह चावला, अध्यक्ष, एमपी कॉटन एसोशिएसन, खरगौन

दो टेंडरों के बाद कुछ शर्तें बदली गई है। एमएसपी बढऩे के बाद क्वालिटी कंट्रोल के लिए भारत सरकार और हमारे विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने मापदंड तय किए है। चूंकि खरीदी एमएसपी पर होगी, इसलिए उत्पादित माल भी अच्छी दरों पर बिकना चाहिए। इसके लिए विभाग ने टेंडर की शर्तें बना ली है। हमारे उच्च अधिकारियों का तीनों राज्यों के एसोशिएसन से इस संबंध में वार्तालाप चल रहा है।
-एके श्रीवास्तव, एमपी हेड, सीसीआई।

 

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