लोकल ट्रेन में जन्मीं बच्ची को नहीं मिल रहा जन्म प्रमाण पत्र, अस्पताल के साफ इंकार से दंपति परेशान   

लोकल ट्रेन में जन्मीं बच्ची को नहीं मिल रहा जन्म प्रमाण पत्र, अस्पताल के साफ इंकार से दंपति परेशान   

Tejinder Singh
Update: 2019-03-01 16:41 GMT
लोकल ट्रेन में जन्मीं बच्ची को नहीं मिल रहा जन्म प्रमाण पत्र, अस्पताल के साफ इंकार से दंपति परेशान   

डिजिटल डेस्क, मुंबई। अस्पताल की लापरवाही के चलते लोकल ट्रेन में बच्ची के जन्म के बाद अभिभावकों के सामने अब नई मुसीबत खड़ी हो गई है। बच्ची का जन्म प्रमाणपत्र लेने के लिए उन्हें दर-दर की ठोकरे खानी पड़ रहीं हैं। गरीब माता-पिता के पास इतने संसाधन भी नहीं हैं कि वे कामकाज छोड़कर अधिकारियों के सामने मिन्नत करते फिरें। पिछले चार महीने से उनकी सारी कोशिशें नाकाम रहीं हैं। सुशील तिवारी और उनकी पत्नी सुरेखा ठाणे के भाईंदर इलाके में रहते हैं। 25 अक्टूबर 2018 को सुरेखा को प्रसव पीड़ा हुई जिसके बाद सुशील उन्हें मीरा-भाईंदर महानगर पालिका द्वारा चलाए जा रहे पंडित भीमसेन जोशी अस्पताल में ले गए। लेकिन अस्पताल ने उन्हें दाखिल करने से इनकार कर दिया। इसके बाद वे कांदीवली के शताब्दी अस्पताल पहुंचे लेकिन वहां भी सुरेखा को दाखिल नहीं किया गया। परेशान सुशील ने सुरेखा के साथ लोकल ट्रेन पकड़ी जिससे वे मुंबई के किसी दूसरे अस्पताल में उन्हें दाखिल करा सकें। लेकिन ट्रेन दादर पहुंची थी तभी सुरेखा ने डिब्बे के भीतर ही बेटी को जन्म दिया। बाद में आरपीएफ की मदद से सुशील अपनी पत्नी को केईएम अस्पताल ले गए।

जहां बेहद कमजोर होने के चलते बच्ची को आईसीयू में रखकर इलाज किया गया। धीरे-धीरे बच्ची की हालत में सुधार हो गया लेकिन अभिभावकों की परेशानी खत्म नहीं हुई। सुशील ने बच्ची का जन्म प्रमाणपत्र हासिल करने की कोशिश की तो अस्पताल ने यह कहते हुए इसे जारी करने से इनकार कर दिया कि बच्ची का जन्म अस्पताल में नहीं रास्ते में हुआ था। एक शख्स के यहां खानसामे का काम करने वाले सुशील के मुताबिक अधिकारियों के कई चक्कर लगाने के बाद अब वे परेशान हो गए हैं। अपना काम छोड़कर वे सिर्फ इस काम के लिए नहीं भागदौड़ कर सकते।   

 

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