दाभोलकर मामले में अगले सप्ताह दायर होगा पूरक आरोपपत्र, एल्गार परिषद पर सुधा की जमानत अर्जी दायर, 20 से शक्ति मिल केस की अंतिम सुनवाई

दाभोलकर मामले में अगले सप्ताह दायर होगा पूरक आरोपपत्र, एल्गार परिषद पर सुधा की जमानत अर्जी दायर, 20 से शक्ति मिल केस की अंतिम सुनवाई

Tejinder Singh
Update: 2019-02-06 16:26 GMT
दाभोलकर मामले में अगले सप्ताह दायर होगा पूरक आरोपपत्र, एल्गार परिषद पर सुधा की जमानत अर्जी दायर, 20 से शक्ति मिल केस की अंतिम सुनवाई

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सीबीआई व महाराष्ट्र सीआईडी ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि वह अगले सप्ताह समाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर व गोविंद पानसरे हत्याकांड से जुड़े आरोपियों के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दायर कर देगी। सीबीआई दाभोलकर मामले की जांच कर रही है। जबकि सीआईडी पानसरे मामले की तहकीकात कर रही है। इससे पहले सीबीआई की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि सीबीआई ने दांभोलकर हत्याकांड मामले में सचिन अंदुरे व शरद कलसकर नाम के दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जिन्होंने कथित रुप से दाभोलकर पर गोलियां चलाई थी। इन दोनों के खिलाफ 13 फरवरी तक  पूरक आरोपपत्र दायर कर दिया जाएगा। इसी तरह स्टेट सीआईडी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मुंदरगी ने कहा कि सीआईडी पानसरे मामले में तीन आरोपियों के खिलाफ 12 फरवरी तक पूरक आरोपपत्र दायर कर देगी। उन्होंने कहा कि आरोपपत्र दायर करने के बाद सीआईडी मामले में फरार आरोपियों को पकड़ने की दिशा में कदम उठाएगी। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने आरोपपत्र के संंबंध में सीबीआई व सीआईडी की ओर से कही गई बातों को स्वीकार कर लिया पर कहा कि हम सीबीआई जैसी प्रतिष्ठित जांच एजेंसी से इससे ज्यादा की अपेक्षा रखते है। यह दोनों काफी महत्वपूर्ण मामले है जिसके नतीजे को लेकर पूरे विश्व की नजर है। सोशल मीडिया के चलते आज हर किसी की इन दोनों घटनाओं में क्या हो रहा इस पर नजर है। इस दौरान खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल के शारदा चिट फंड मामले में सीबीआई क्या कर ही है इसे भी पूरी दुनिया को लोग देख रहे है। गौरतलब है कि 20 अगस्त 2013 को पुणे में सामाजिक कार्यकर्ता दाभोलकर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जबकि पानसरे पर 16 फरवरी 2015 को कोल्हापुर में गोलिया चलाई गई थी। पानसरे की 20 फरवरी 2015 को अस्पताल में मौत हो गई थी।

एल्गार परिषद मामले में सुधा भरद्वाज ने हाईकोर्ट में दायर की जमानत अर्जी

वहीं भीमा-कोरेगाव में आयोजित एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार मानवाधिकार कार्यकर्ता व पेशे से वकील सुधा भरद्वाज ने बांबे हाईकोर्ट में जमानत आवेदन दायर किया है। अधिवक्ता युग चौधरी के मार्फत दायर जमानत आवेदन में भरद्वाज ने पुणे कोर्ट के फैसले को चुनौती दी जिसके तहत उनकी जमानत अर्जी को नमंजूर किया गया था। बुधवार को न्यायमूर्ति नितिन सांब्रे के सामने जमानत अावेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान अधिवक्ता युग चौधरी ने कहा कि पुणे पुलिस ने मेरे मुवक्किल के खिलाफ चार पत्र पेश किए है। जिसके आधार पर कोर्ट ने मेरे मुवक्किल को जमानत देने से इंकार किया है। साक्ष्य कानून के तहत पुलिस की ओर से पेश किए गए पत्रों को सबूत के तौर पर नहीं स्वीकार किया जा सकता है। भरद्वाज को पुणे पुलिस ने पिछले साल गिरफ्तार किया था। न्यायमूर्ति ने कहा कि वे जमानत आवेदन पर 18 फरवरी को सुनवाई करेगे।  

शक्ति मिल सामूहिक दुष्कर्म मामले में अंतिम सुनवाई 20 फरवरी से होगी शुरु    

इसके अलावा शक्तिमिल में फोटोग्राफर के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में दोषी पाए गए आरोपियों की याचिका पर बांबे हाईकोर्ट में 20 फरवरी से अंतिम सुनवाई होगी। आरोपियों ने  याचिका में उस कानूनी धारा की संवैधानिकता को चुनौती दी है जिसके अंतर्गत उन्हें साल 2014 में फांसी की सजा सुनाई गई थी। 22 अगस्त 2013 को महिला फोटोग्राफर के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में निचली अदालत ने आरोपी विजय जाधाव,कासिम बंगाली,सलीम अंसारी को अप्रैल 2014 में फांसी की सजा सुनाई थी। बुधवार को न्यायमूर्ति बीपी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे की खंडपीठ के सामने इन आरोपियों की याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि मामले में दोषी पाए गए आरोपियों की याचिका साल 2014 से सुनवाई के लिए प्रलंबित है। इसलिए केंद्र व राज्य सरकार को इस मामले की याचिका की पैरवी की तैयारी के लिए काफी समय मिल चुका है।   इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि आरोपियों की इस याचिका के चलते फांसी की साज पुष्ट किए जाने की मांग को लेकर  राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका पर भी सुनवाई रुकी हुई है। इसलिए हम 20 फरवरी से आरोपियों की याचिका पर अंतिम सुनवाई करेगे। याचिका में आरोपियों ने मुख्य रुप से भारतीय दंड संहिता की धारा 376ई की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। निर्भया कांड के बाद हुए संसोधान के तहत भारतीय दंड संहिता में इस धारा को समाहित किया गया था। इस धारा के मुताबिक यदि किसी को पहले दुष्कर्म के मामले में दोषी पाया जा चुका है यदि फिर दोषी पाया हुआ व्यक्ति दुष्कर्म के प्रकरण में दोबारा दोषी पाया जाता है तो उसे 376ई के तहत कोर्ट फांसी का सजा सुना सकता है। आरोपियों ने याचिका में दावा किया गया है कि अभियोजन पक्ष ने गलत तरीके से उनके प्रकरण में धारा 376 ई को शामिल किया है। 

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