पूर्व पुलिस कमिश्नर का खुलासा- नौटंकी करता है दाऊद,नहीं आना चाहता मुंबई

पूर्व पुलिस कमिश्नर का खुलासा- नौटंकी करता है दाऊद,नहीं आना चाहता मुंबई

Bhaskar Hindi
Update: 2017-10-26 14:50 GMT
पूर्व पुलिस कमिश्नर का खुलासा- नौटंकी करता है दाऊद,नहीं आना चाहता मुंबई

डिजिटल डेस्क, मुंबई। अंडरवर्ल्ड माफिया दाऊद इब्राहिम को गिरफ्तार कर भारत लाने की कोशिश के बीच मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर एम.एन. सिंह ने गुरुवार को बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि दाऊद कभी भी भारत नहीं आना चाहता था। वह सिर्फ भारत आने का नाटक कर रहा था। लेकिन भविष्य में क्या होगा, इसपर वो आज कुछ नहीं कह सकते। पुलिस कमिश्नर रहे सिंह का खुलासा बहुत अहम है। क्योंकि मुंबई में 1993 में हुए बम विस्फोट की वारदात की घटना के वक्त वे मुंबई पुलिस में संयुक्त पुलिस कमिश्नर  थे और पूरे मामले की जांच से जुड़े हुए थे। दाऊद के आत्मसमर्पण के प्रस्ताव के वक्त हुए घटनाक्रम की पहली बार विस्तृत जानकारी सिंह ने एक निजी टीवी चैनल के ‘दाऊद का मुंबई कनेक्शन’ विषय पर हुई परिचर्चा के दौरान दिया।

 

‘दाऊद वांट टू सरेंडर’ 

सिंह ने कहा कि यह बात सही है कि दाऊद की ओर से संदेश लेकर वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी मेरे पास आये थे। तब मैं मुंबई पुलिस में संयुक्त पुलिस कमिश्नर था और 1993 बम विस्फोट मामले की जांच कर रहा था। उन्होंने मुझसे कहा,‘दाऊद वांट टू सरेंडर!’ तो मैंने उनसे सीधा सवाल किया कि क्या वे दाऊद के संपर्क में हैं। इस पर महेश ने कहा कि वे उसके सम्पर्क में नहीं हैं, पर पिता राम जेठमलानी उसके सम्पर्क मैं थे। इसपर जब पूछा गया कि कहां संपर्क हुआ, तो उन्होंने कहा, ‘लंदन में शायद उनकी बात और मुलाकात हुई है।’ दरअसल महेश अपने पिता राम जेठमलानी का संदेश लेकर मेरे पास आये थे। दाऊद के सरेंडर करने के प्रस्ताव संबंधित उनकी पूरी बात सुनने के बाद मैंने उन्हें कहा, मुझे इस पर विश्वास नहीं है। 

 

दाऊद दामाद है? जो उसे हाउस अरेस्ट रखते 

पूर्व पुलिस कमिश्नर सिंह ने बताया कि दाऊद ने आत्मसमर्पण के लिए तीन शर्त रखी थी। उसकी पहली शर्त थी कि मुंबई पुलिस उसका एनकाउंटर न करे। मैंने जवाब में कहा,‘डन!’ दूसरी शर्त थी कि उस पर सिर्फ मुंबई बम ब्लास्ट मामले में ही ट्रायल चले बाकी केस में मामला न चले। मैंने कहा,‘नॉट पॉसिबल!’ दाऊद की तीसरी शर्त थी कि उसे जेल में न रखा जाये बल्कि हाउस अरेस्ट किया जाये। मैंने जवाब में कहा, ‘नॉट पॉसिबल!’ इसके साथ ही मैंने महेश जेठमलानी को कहा कि यह मेरी अपनी राय है, क्योंकि दाऊद जब भारत आयेगा, तो उसमें केंद्र सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। इसके बाद मैंने इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी सरकार को दे दी थी। जिस पर मेरी राय पूछी गई, तो मैंने कहा,‘आई एम नॉट फेवर ऑफ दिस!’ यानी मैं इसके पक्ष में नहीं हूं। सरकार ने भी अपने जवाब में कहा,‘ओके!’ बस यही हुआ था दाऊद इब्राहिम के आत्मसमर्पण के प्रस्ताव के वक्त। अब लोग ही बताएं कि ‘क्या दाऊद हमारा दामाद है, जो उसे जेल में नहीं बल्कि हाउस अरेस्ट रखते!’

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