इस कारण विधानसभा में कम हुई हिंदीभाषी विधायकों की संख्या 

इस कारण विधानसभा में कम हुई हिंदीभाषी विधायकों की संख्या 

Tejinder Singh
Update: 2019-10-24 15:07 GMT
इस कारण विधानसभा में कम हुई हिंदीभाषी विधायकों की संख्या 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महानगर और आसपास के ठाणे और पालघर जिलों में हिंदीभाषियों की अच्छी खासी आबादी है लेकिन हिंदी भाषी विधायकों की संख्या बढ़ने के बजाय कम हो गई है। मुंबई में इस बार सिर्फ पांच हिंदी भाषी विधायक चुनावी सफलता हासिल कर सके। कृपाशंकर सिंह, राजहंस सिंह, राज पुरोहित जैसे कई बड़े नेता तो इस बार चुनावी मैदान में ही नहीं दिखे। मुंबई भाजपा अध्यक्ष मंगलप्रभात लोढा ने लगातार छठीं बार जीत हासिल की है। साल 1995 से लगातार इस सीट से निर्वाचित हो रहे लोढा ने इस बार 71813 वोटों से जीत हासिल की। विरोधी के मुकाबले उन्हें 75.83 फीसदी ज्यादा वोट मिले। राज्यमंत्री और भाजपा उम्मीदवार विद्या ठाकुर भी अपनी सीट बचाने में कामयाब रहीं हैं। मालाड से दो हिंदी भाषी उम्मीदवारों की ही टक्कर थी। यहां कांग्रेस के असलम शेख ने जीत की हैट्रिक लगाते हुए भाजपा के रमेश सिंह ठाकुर को 10 हजार 531 वोटों से हराया। इसके अलावा समाजवादी पार्टी के अबू आसिम आजमी ने मानखुर्द-शिवाजी नगर सीट से दूसरी बार जीत हासिल की।

राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक भी अणुशक्ति नगर सीट से जीत हासिल करने में कामयाब रहे हैं। पिछली बार विधायक रहे राज पुरोहित को इस बार भाजपा ने टिकट ही नहीं दिया। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व मंत्री नसीम खान को भी सिर्फ 409 वोटों से हार का सामना करना पड़ा है। नालासोपारा सीट से क्षितिज ठाकुर को टक्कर देने उतरे पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को भी हार का सामना करना पड़ा है। घाटकोपर पश्चिम सीट से कांग्रेस उम्मीदवार आनंद शुक्ल चुनाव हार गए। उन्हें केवल 9313 वोट मिले। कांदीवली से कांग्रेस की हिंदीभाषी उम्मीदवार अजंता यादव और मुलुंड से गोविंद सिंह को भी हार का मुंह देखना पड़ा।  

 

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