शिक्षक भर्ती परीक्षा में महिला आरक्षण के भेदभाव को चुनौती

शिक्षक भर्ती परीक्षा में महिला आरक्षण के भेदभाव को चुनौती

Bhaskar Hindi
Update: 2020-02-26 08:00 GMT
शिक्षक भर्ती परीक्षा में महिला आरक्षण के भेदभाव को चुनौती

 हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व अन्य को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
शिक्षक भर्ती परीक्षा में दूसरे राज्यों की महिलाओं के लिए किए गए आरक्षण में भेदभाव किये जाने का आरोप लगाने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व अन्य को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। इस परीक्षा में आरक्षण का लाभ सिर्फ मध्य प्रदेश में ही रहने वाली महिला उम्मीदवारों को दिए जाने को कटघरे में रखा गया है। चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने अनावेदकों को 10 दिनों में जवाब पेश करने कहा है।
राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ में रहने वाली नजमा बानो व अन्य की ओर से दायर इस याचिका में व्यापमं द्वारा जारी शिक्षक भर्ती प्रकिया में महिला आरक्षण को निवास स्थान के आधार भेदभाव पूर्ण बताते हुए चुनौती दी गई है। आवेदकों का कहना है कि राज्य शासन के शिक्षा विभाग ने 28 अगस्त 2018 को एक विज्ञापन जारी कर शिक्षा विभाग में शिक्षकों की भर्ती हेतु पात्रता परीक्षा का आयोजन किया था। इसको लेकर जारी की गई नियम पुस्तिका में 50 फीसदी पद महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित किये गये थे। यह आरक्षण मप्र राज्य स्कूल शिक्षा सेवा शर्तो एवं भर्ती नियम 2018 के अनुसार थे। नियम पुस्तिका में इस बात का कहीं कोई उल्लेख नहीं था कि इस आरक्षण का लाभ केवल मप्र में ही रहने वालीं महिला अभ्यार्थियों को ही मिलेगा। याचिका में आरोप है कि 10 जनवरी 2020 को नई गाईडलाईन जारी की गई, जिसके तहत स्पष्ट किया गया कि आरक्षण एवं आयु सीमा का लाभ केवल राज्य के मूल निवासियों को प्राप्त होगा। आवेदकों का कहना है कि वे मध्य प्रदेश के बाहर की निवासी हैं और वे पात्रता परीक्षा भी पास कर चुकी हैं। ऐसे में आरक्षण का लाभ सिर्फ मध्य प्रदेश की ही महिला उम्मीदवारों को दिया जाना अवैधानिक है। मामले पर हुई प्रारंभिक सुनवाई के दौरान आवेदकों की ओर से अधिवक्ता ब्रम्हेन्द्र पाठक ने पक्ष रखा। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने याचिका में बनाए गए अनावेदकों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।
 

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