दो माह से नहीं मिला कर्मचारियों को वेतन, जवाब नहीं दे रहे अफसर
दो माह से नहीं मिला कर्मचारियों को वेतन, जवाब नहीं दे रहे अफसर
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा । सरकार की माली हालत ने कर्मचारियों को वेतन के लिए तरसा दिया है। कई अहम् विभागों में कर्मचारियों को दो-दो माह से वेतन नहीं मिला है। हालत ये है कि कर्मचारियों को घर चलाना दूभर हो रहा है। शासन स्तर पर जबाव-तलब करने पर अफसरों को एक ही जबाव मिल रहा है कि फिलहाल इतना भी बजट नहीं है कि कर्मचारियों को तनख्वा दी जा सके। इस नाजुक हालत में सबसे बदतर स्थिति संविदा कर्मचारियों, दैनिक वेतन भोगियों, मजदूरी मद में काम करने वाले कर्मचारियों और ठेका मजदूरों की हो रही है। संविदा कर्मियों को दो-दो महीने तो ठेका मजदूरों को चार-चार महीने से वेतन नहीं मिला है। सरकार की वित्तीय स्थिति गड़बड़ाने से सरकारी कर्मचारियों की हालत खस्ता हो गई है।
विभागवार देखिए हालात
स्वास्थ्य : सबसे बड़ा अमला स्वास्थ्य महकमें का है जहां मार्च बीतने को है लेकिन फरवरी का वेतन नहीं मिला है। ये संविदा कर्मचारियों के हालात है इससे बदतर स्थिति दैनिक वेतन भोगियों, वार्डवाय और ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात स्वास्थ्य कर्मचारियों की है जो दो महीने से वेतन का इंतजार कर रहे हैं।
ट्रायबल: वेतन के मामले में दूसरे नंबर पर सबसे बदतर स्थिति जनजाति विकास विभाग की है। यहां तो छात्रावास अधीक्षकों को तीन-तीन माह का वेतन नहीं मिल पाया है। वहीं दैनिक वेतन भोगी और कांट्रेक्ट मजदूर चार महीने से वेतन का इंंतजार कर रहे है। बजट नहीं होने से ये स्थिति बनी हुई है।
फॉरेस्ट: वनविभाग के में भी यही हालात बने हुए है। बताया जा रहा है कि 2014 के पहले कर्मचारियों को यहां वेतन नहीं मिला है। फरवरी का वेतन तो नियमित कर्मचारियों तक को नहीं मिल पाया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अलग-अलग मद के तहत वेतन कर्मचारियों का आता है। इस वजह से कई मदों में बजट के चलते स्थिति गड़बड़ाई है।
यहां भी बदतर स्थिति
- वित्तीय संकट के चलते सरकार ने पहले से ही शासकीय खरीदी पर रोक लगा रखी है। जिस वजह से कई अहम् सामानों की खरीदी कई विभागों में बंद पड़ी है।
- मानदेय सहित फील्ड कर्मचारियों को दिया जाने वाले भत्ते में कटौती की गई है। जनशिक्षक, बीआरसी आदि को फंड ही बराबर मुहैया नहीं कराया जा रहा है ताकि वे जमीनी स्थिति देख सकें।
- महिला एवं बाल विकास विभाग में सहायिका और कार्यकर्ताओं को भी वेतन नहीं दिया जा रहा है। ये शिकायत कार्यकर्ताएं कर रही है। जबकि विभागीय कर्मियों को कहना है कि हाल ही में वेतन डाला गया है।
- सरकारी विभागों में लगी अफसरों की गाडिय़ों और अन्य खर्चों का भुगतान रुका पड़ा है। वित्त विभाग भोपाल स्तर से पैसा रिलीज नहीं कर रहा है जिस वजह से भुगतान नहीं हो पा रहा।