युवा अपराधियों को दंडित करते वक्त सुधार की संभावना को नजरअंदाज न करें: हाईकोर्ट

युवा अपराधियों को दंडित करते वक्त सुधार की संभावना को नजरअंदाज न करें: हाईकोर्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2019-08-24 13:32 GMT
युवा अपराधियों को दंडित करते वक्त सुधार की संभावना को नजरअंदाज न करें: हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि युवा अपराधियों को दंडित करते समय अदालतों को सुधार की संभावना वाले नजरिए को महत्व देना चाहिए।  यह बात कहते हुए हाईकोर्ट ने गैर इरादतन हत्या के मामले में दंडित किए गए दो आरिपोयों को ‘प्रोबेशन आफ अफेंडर एक्ट’ का लाभ दिया है। इस कानून के तहत अब इन दोनों आरोपियों को निचली अदालत में दस हजार रुपए जमा कर दो साल तक नेकचलनी का बांड पत्र देने को कहा है। 

राज्य सरकार ने गैर इरादतन हत्या के मामले में दोषी पाए गए आरोपी किरण सालुंखे व अनिल भोंडेकर को दी गई पांच साल की सजा को बढाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में अपील की थी। सरकारी वकील ने मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदरा जोग की खंडपीठ के सामने दावा किया गया था कि आरोपियों द्वारा की गई मारपीट के चलते एक युवक की बाद में इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई थी। पुणे सत्र न्यायालय ने इन दोनों आरोपियों को 304 (।।) के तहत दोषी ठहराते हुए इन्हें पांच साल की सजा सुनाई थी। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद कहा कि इन दोनों आरोपियों ने जब अपराध को अंजाम दिया था तो उनकी उम्र 19 साल व  22 साल थी। निचली अदालत ने साफ किया है कि इन दोनों आरोपियों की पीड़ित को मारने का कोई इरादा नहीं था। खंडपीठ ने कहा कि इन दोनों आरोपियों के किशोरावस्था में होने के चलते ‘प्रोबेशन आफ अफेंडर एक्ट’ का लाभ मिलना चाहिए था। क्योंकि ये कोई अदातन अपराधी नहीं हैं। 

अब तक दोनों आरोपी ढाई साल की सजा भुगत चुके है। इसे देखते हुए खंडपीठ ने आरोपियों की सजा बढाने की मांग को लेकर राज्य सरकार की ओर से की गई अपील को खारिज कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि युवा अपराधियों को दंडित करते समय अदालतों को उनमे सुधार की संभावनावाला रुख अपनाना चाहिए। यह कहते हुए खंडपीठ ने दोनों आरोपियों को निचली अदालत में दस हजार रुपए जमा कर दो साल तक के लिए अपनी नेकचलनी को लेकर एक बांड पत्र देने का निर्देश दिया।

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